पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३६३

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पउमचरित [...,61-९,९,12 18 ॥ घत्ता॥ आऍहिँ आलावेंहि कुविउ पर थिउ भीसणु उक्खय-खग्ग-करु । 'किं वयणेहिँ बहुऍहिँ वाहिरेंहिँ रिउ रक्खउ विहि मि लेमि सिर ॥९ [८]

कडु-अक्खरेण परिभासिरेण करें धरिउ पहञ्जणु पहसिएण ॥१

'जं करि-सिर-रयणुजलिय(?) देव तं असिवरु मइलहि एत्थु केम ॥२ लजिजहि वोल्लहि णाइँ मुक्खु' णिउ णिय-आवासहों दुक्खु दुक्खु ॥३ दस-चरिस-सरिस गय रयणि तासु रवि उग्गउ पसरिय-कर-सहासु ॥४ कोकावेवि' णरवइ पवर वर(?) हय भेरि पयाणउ दिण्णु णवर ॥५ ॥ अञ्जणसुन्दरिहें तुरन्तएण उम्माहउ लाइउ जन्तएण ॥६ संचल्लइ पउ पउ जेम जेम कप्पिज्जइ हियवउ तेम तेम ॥ ७ तेहएँ अवसरे वहु-जाणएहिँ कर-चरण धरेप्पिणु राणएहिँ॥८ ॥ घत्ता॥ वलि-वण्ड मंण्ड परियत्तियउ तेण वि उवाउ परिचिन्तियउ । 'लई एकवार करयले धरेविं पुणु वारह वरिसइँ परिहरेविं' ॥९ [९] तो दुक्खु दक्खु दुम्मिय-मणेण किउ पाणिग्गहणु पहाणेण ॥१ थिउ वारह वरिसइँ परिहरेवि वि सुअइ आलवंइ सुइणवे(?) वि ॥२ वारे विण जाइ ण(?) जेम जेम खिज्जइ झिंज्जई पुणु तेमतेम ॥३ "डज्झन्तउ उरु विरहाणलेण णं वुज्झावइ अंसुअ-जलेण ॥४ परिवार-भित्ति-चित्ताइँ जाई णीसास-धूम-मलियाइँ ताई ॥५ दिल्लइँ आहरण परियलन्ति णं णेह-खण्ड-खण्डई पडन्ति ॥६ गउ रुहिरु णवर थिउ अंइf अत्थि णउ णावइ जीविउ अस्थि णत्थि ॥७ तहिं तेहए काले दसाणणेण सुरवर-कुरङ्ग -पश्चाणणेण ॥८ ॥ घत्ता॥ जो दुम्मुहु दूउ विसजिय सो आयउ कप्प-विवज्जियउ। हय समर-भेरि रहवरें चडिउ रणे रावणु वरुणहों अभिडिउ ॥ ९ 4 आयहे. 5 PSA बहुअहि. 8. 1 PS A कोकाविधि. 2 A जं अंजण'. 3P S °मंडइ, A बलिवंडह मंडइ. 4 A लए. 5 PSA धरेवि. १. 14 दुक्ख दुक्ख. 24 M. 3 A मालाव. 4 जेण. 5_P झिज्जड marginally corrected to सिज्जइ. 6 7 तेव तेव. 7 Ps दिया, A दिल्लउ. 8 गलति. 9 P अजिणु, 10PS रहवर. [९] १ प्रखेदति (v. 1. सिज्जइ). २ स्थि. 25