पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३६४

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3 10 ..10, 1-511,1-] अट्ठारहमो संधि [१०] एत्यन्तरें वरुणहाँ णन्दणेहि समरङ्गणे वाहिय-सन्दणेहिँ ।। १ 'राजीव-पुण्डरीएहिँ पवर खर-दूसण पाडेंवि धरिय णवर ॥२ गय पवण-गमणे केण वि ण दि8 सहुँ वरुणें जल-दुग्गमें पइट्ठ ॥३ 'सालयहुँ म होसइ कहि मि घाउ' उबेढेंवि गउ रयणियर-राउ ॥४ णीसेस-दीव-दीवन्तराहुँ लहु लेह दिण्ण विजाहराहुँ ॥ ५ अवरेकु रणङ्गणे दुजयासु पट्ठविउ लेहु पवणञ्जयासु ॥६ तं पेक्खैवि तेण विण किउ खेउ णीसरिउ स-साहणु वाउ-चेउ ॥ ७ थिय अञ्जण कलसु लएवि वारें णिब्भच्छिय 'ओसर दुट्ठ दारें ॥८ ॥ धत्ता ।। तं णिसुणेवि अंसु फुसन्तियएँ वुच्चइ लीहरु कडन्तियएँ । 'अच्छन्ते अच्छिउ जीउ महु जन्तें जाएसइ पइँ जि सहुँ' ॥९ [११] तं वयणु पडिउ णं असि-पहारु अवहेरि करेप्पिणु गउ कुमार ॥१ माणस-सरवरें आवासु मुकु अत्थवणहों ताम पयङ्गु दुक्कु ॥ २ दिइँ सयवत्तइँ मउलियाई पिय-विरहिय-महुअरि-मुंहलिया ॥३ चक्की वि दिट्ट विणु चक्कएणे वाहिज्जमाण मयरद्धएणं ॥४ विहुणन्ति चनु पङ्खाहणन्ति विरहाउर पकन्दन्ति धंन्ति ।। ५ तं णिऍवि जाउ तहों कलुण-भाउ 'मइँ सरिसउ अण्णु ण को वि पाउ ॥ ६ ण कयाइ वि जोइउ णिय-कलत्तु अच्छइ मयणग्गि-पलित्त-गत्तु ॥ ७ परित्तेवि संमाणिउ ण जाम रणे वरुणहों जुज्झु ण देमि ताम' ॥८ 18 20 ॥ धत्ता॥ सम्भाउँ सहायहाँ कहिउ पुणु उप्पऍवि णहङ्गणे वे वि गय पहसिऍण वुत्तु 'ऍहु परम-गुणु। ण सिय-अहिसिञ्चणे मत्त गय ॥९ 10. 1PS °गवण.2 PS इहु. 3 P सालयहु, 8 सालयहो, A सालयह. 4 Ps रवणी पराद. 5 दीवंतराहं. 6 P लेहु दिण्णु. 7 A विजाहराई. 8 A सरु. 9 Ps पुसंतियए. 11. 1PS चकवेण. 2 PS मयरवेण, A रखए. 3 P एकंदति. 4 PS करुण'. 5 P8 महु. 6 P परित्तेषि, s परिमत्तिवि.7 PS सम्भाव. [१०] १ राजी[व]-पुण्डरीको पुत्रौ. २ केनापि न दृष्टः. ३ विलम्बम्. [११] १ शन्दं कुर्वाणा. २ धावन्ती.