पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३६७

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18 पउमचरित [क०,1-10- [३] कूर-वीरें परिअत्तऍ रवि अत्यन्तओ। अञ्जणाएँ केरउ दुक्खु वै असहन्तओ ॥१ मीसण-रयणिहिँ भीसण अॅडइ खाइ व गिलइ व उवरि व पडइ ॥२ , भिभियइ व भिङ्गारी-रहि रुवइ व सिव-सद्देहि रउरवेंहि ॥३ पुप्फुवइ व फणि-फुक्कारऍहिँ वुक्का व पमय-वुक्कारऍहिँ ॥४ सा दुक्खु दुक्खु परियलिय णिसि दिणयरेण पसाहिय पुष-दिसि ॥ ५ गइयउ णिय-णयरु पराइयउ अग्गएँ पडिहारु पधाइयउ 'परमेसर आइय मिग-णयण अञ्जणसुन्दरि सुन्दर-वयण' ॥७ "तं सुणेवि जाय दिहि णरवरहों 'लहु पट्टणे हट्ट-सोह करहों ॥८ उन्भहाँ मणि-कञ्चण-तोरण वर-वेसउ लेन्तु पसाहणइँ ॥९ । घत्ता ॥ सब पसाहहों मत्त गय पल्लाणहों पवर तुरङ्ग-थड । (जय-)मङ्गल-तूर आहणहों सवडम्मुह जन्तु असेस भर्ड ॥१० [४] भणेवि एम पडिपुच्छिउ पुणु वद्धावओ। 'कइ तुरङ्ग कइ रहवर को वोलावओं ॥१ पडिहारु पवोल्लिउ अतुल-बलु 'णउ को वि सहाउ ण किं पि वल्लु ॥२ अञ्जण वसन्तमालाएँ सहुँ आइय पर एत्तिउ कहिउ महु ॥३ . एकऍ अंसुअ-जल-सित्त-थण दीसइ गुरुहार विसण्ण-मण' ॥४ तं णिसुणेवि थिउ हेट्ठामुहउ णं णरवइ सिरे वजेण हउ ॥५ 'दुस्सील दुट्ठ मं पइसरउ विणु खेवें जयरहों णीसर' ॥६ पभणइ आणन्दु मन्ति सुचवि 'अपरिक्खिउ किजइ कजण वि ॥७ सासुअउ होन्ति विरुआरियउ महसइहें वि' अवगुण-गारियंउ ॥८ ॥ घत्ता॥ सुकइ-कहाँ जिह खल-मइउ हिम-वद्दलियउ कमलिणिहिँ जिह । 'होन्ति सहावें वइरिणित णिय-सुण्हहँ खेल-सासुअउ तिह॥९ 3. 1 PSA अस्थतउ. 2 Ps दि. 3 P S A असतउ. 4 P मई corrected to माइ, भडई, A अडइ व. 5 P पडई corrected to पठइ, पढई, A पडइ वी. 68 विमियह.7 बहु. 8 A पल्लाणहुँ.9 P 'तूडई. 4. 1s missing. 2 Ps 'रहधय. 3 P corrects to मेलावट, s बोलावलं.40 सुचि, - सुणेलि. 5 A मि. 6 PS °कारियड. 7 P कवळणिहुं, 5 कवलाणिहु. 80 हुंति. 9P8 °सुण्हहुं. 10 PA खलु. [३] १ भटम्या (2), २ मर्कट-पूरकारौ (2). [४] १ सुवचनमान. M