पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३६८

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१५५ १०५,1-1011-10] एगुणवीसमो संघि [५] सासुआण सुण्हाण जणे सुपसिद्धई। एकमेक-वइराइँ अणाइ-णिवद्धई ॥१ भत्तारु भणेसइ जं दिवसु विरुआरी होसइ तं दिवसु' ॥२ वयणेण तेण मन्तिहे तणेंण आरुङ पसण्णकित्ति मणेण ॥३ 'किं कन्तऍ णेह-विहूणियएँ किं कित्तिएँ वइरिहिं जाणियएँ ॥४ किं सु-कहऍ णिरलङ्कारियएँ किं धीय' लञ्छण-गारियऍ॥५ घरें अञ्जण समरङ्गणे पवणु गम्भहों संवन्धु एत्थु कवणु' ॥६ तं णिसुणेवि गरेण णिवारियर पडहउ देप्पिणु णीसारियउ॥७ वणु गम्पि पइट्ठउ भीसणउ धाहाविउ पहणेवि अप्पणउ ॥८ 'हा 'विहि हा काइँ कियन्त किउ णिहि दरिसेंवि लोयण-जुयलु हिउँ' ॥९ ॥ घत्ता॥ विहि मि कलुणु कन्दन्तियहिँ वणे दुक्खं को व ण पेल्लियउ । सच्छन्देहि चरन्तऍहिँ हरिणेहिँ वि 'दोवउ मेल्लियउ ॥ १० वारवार सोआउर रोवइ अञ्जणा । 'का वि णाहिँ मइँ जेही दुक्खहँ भायणा ॥१ सासुअऍ हयासऍ परिहविय हा माऍ पइँ वि णउ संथविय ॥ २ हा भाइ-जणेरहों णिड्डुरहों णीसारिय कह रुयन्ति पुरहों ॥३ कुलहर- पइहरहि मि दइयहु मि पूरन्तु मणोरह सबहु मि' ॥ ४ गम्भेसरि जउ जउ संचरइ तउ तउ रुहिरहों छिल्लरु भरइ ॥५ तिस-भुक्ख-किलामिय चत्त-सुह गय तेत्थु जेत्थु पलियङ्क-गुह ॥ ६ तहिँ दिगु महारिंसि सुद्धमइ णामेण भडारउ अमियगइ ॥७ अत्ताण-तावें तावियर छुडु में छुडु जोग्गु खम्माविर्यउ ॥ ८ तहि अवसरे वे वि पढुकियउ णं दुक्ख-किलेसैहिँ मुकियउ ॥९ ॥ घत्ता॥ चलण णवेप्पिणु मुणिवरहों अञ्जण विण्णवइ लुहन्ति मुहु । 'अण्ण-भवन्तरें काइँ मइँ किउ दुक्किउ “जे अणुहवमि दुहु'॥१० 5. 1PS 'याए. 2 P सवरंगणे. 3 PS हउ. 4 P चरतेहिं. 5 P दोबार, दुखो. 6. 1. अंजण. 2 ' णहिं, S A णाहि. 3 P महि. 4 s A भायण. 5s मइ. 6 Ps पदहरविहि दबहु मि. 7 P रुहेरुहो, रुहरुहे. 8 Ps परिअंकु. 9 Ps मातावण'. 10 PB पहजे. 11 PA जोग्ग, s जोगु. 12 P S A समाविभउ. 13 PS किलेसहो. 14. [५] १ मन्त्री (?). २ दूर्वा. [६] १ अतिकोमलाङ्गी. www 25