पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३७०

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Onion.1-0] गुणवीसमो संधि 8 15 ॥ धत्ता॥ साहिं गयणहाँ ओअरेंवि अञ्जणहें वसन्तमाल मिलिय । 'इहु अट्ठावउ होन्तु ण वि ता वट्टइ(१)आसि माएँ गिलिय ॥ १० [९] एम वोल्ल किर विहि मि परोप्पर जावेहिं । 'गीउ गेउँ गन्ध मणहरु ताहिं ॥१ तंणिसुर्णेविपरिओसिय णिय-मणे(?) 'पच्छण्णु को वि सुहि वसइ वणें ॥२ असमाहि-मरणु में णासियउ अण्णु वि गन्धब्बु पयासियां' ॥३ अवरोप्परु एम चवन्तियहुँ पलियङ्क-गुहहिँ अच्छन्तियहुँ ॥ ४ माहवमासहों वैहुल?मिएँ रयणिहें पच्छिम-पहरद्धे "थिएँ ॥५ णक्खत्ते सवणे उप्पण्णु सुउ हल-कमल-कुलिस-झस-कमल-जुउ॥६ चास-कुम्म-सङ्ख-सहिउ सुह-लक्खणु अवलक्षण-रहिउ ॥७ ताणन्तरें पर-वल-णिम्महेंण पैडिसूरें सूर-सम-प्पहेंण ॥८ गहें जन्तें वे वि णियच्छियउ ओरवि विमाणहों पुच्छियउ ॥९ ॥ घत्ता॥ 'कहिं जायउ कहिं वद्धिंयउ कहाँ धीयउ कहाँ कुलउत्तियउ । कसु केरउ एवंडु दुहु वणे अच्छहों जेण रुअन्तियः ॥ १. [१०] पुणु वसन्तमालाएँ पडुत्तर दिजइ । णिरवसेसु तहाँ णिय-वित्तन्तु कहिज्जइ ॥१ 'अक्षणसुन्दरि णामेण इम सइ सुद्ध मुद्ध जिह जिण-पडिम ॥२ मणवेय-महाएविहे तणय जइ मुणहों महिन्दु तेण जणिय ॥३ पायड पसण्णकित्तिहे भइणि मणहर पवणञ्जयाहों परिणि' ॥४ विजाहरु तं णिसुणेवि वयणु पभणइ वाहम्भ-भरिय-णयणु ॥५ 'हत माऍ महिन्दहों मेहुणउ सु-पसण्णकित्ति महु भायणउ ॥६ त होमि सहोयरु माउलउ पडिसूरु हेणूरुह-उलउ' ॥७ 7 जइ यहो. 9. 1P 8 गीउ. 2 P बहुलट्ठमीम, धवलमिया, । बहुलट्ठमिएं. 3 P विय. 420 परिवर. 5 P missing. 6 PS एवड. 10. 1 इमा. 2 PS तणिय, A तणिया. 3 A मुणहुं. 4 A जणिया. 5 PS भाषण. 68. [९] जिनो गीत गाइतम्. २ चैत्रे. ३ कृष्णाष्टमी. ४ करकमलयुग्मम्. ५ विद्याधरण. [१०]ीपस नामेवम्. १ राजा. 20 3