पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३७३

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पउमरित [*o 18, 8905190-90 'सयल-काल कण्णारियां अदुस-खर-पहर-वियारियउ॥३ आलीण-सम्में जं आलियड जं सङ्खल-णियलहिं णियलियउ॥ तं सबलु खमेजहि कुम्भि महु' "तहिँ पञ्चक्खाणउ लइउ लहु ॥४ 'जह पत्त वत्त कन्तहें तणिय तो णउ णिवित्ति गई एत्तडिय ॥५ जह पई पुर्ण एह ण हूय दिहि तो एत्थु मज्झु सण्णास-विहिं॥ विड मउणु लएवि णराहिवइ झायन्तु सिद्धि जिह परम-जइ ॥७ सच्छन्दु गइन्दु वि संचरइ सामिय-सम्माणु ण वीसरह ॥ पडिरॅक्खा पासु ण मुअइ किह भव-भव-किउ सुकिय कम्मु जिह ॥९ ॥ घत्ता ॥ ताम रुअन्तें पहसिऍण अक्खिउ जणणिहें वुण्णाणणहें । 'एउ ण जाणहुँ कहि मि गउ मरुएउ विओएं अक्षणहें' ॥१. [१५] तं णिसुणेवि सबङ्गिये-पसरिय-चेयणा । पवण-जणणि मुच्छाविय थियं अञ्चेयणा ॥१ ॥ पवालिय हरियन्दण रसैंण उज्जीविय कह वि पुण्ण-वसेंण ।।२ 'हा पुत्त पुत्त दक्खवहि मुहु हा पुत्त पुत्त कहिँ गयउ तुहुँ । हा पुत्त आउ महु कमेंहिं पहुं हा पुत्त पुत्त रहगऍहिं चहुं॥४ हा पुत्त पुत्त उववणेहि भमु हा पुत्त पुत्त झेन्दुऍहिँ रमु ॥५ हा पुत्त पुत्त अत्थाणु करें हा पुत्त महाहवें वरुणु धेरै ॥६ " हा वहुऍ वहुऍ मइँ भन्तियएँ तुहुँ घल्लिय अपरिक्खन्तियऍ॥७ पल्हाएं पीरिय 'लुहहि मुहूं णिकारणे रोवहि काइँ तुहुँ ॥८ हज कन्ते गवेसमि तुव तणउ इ8 मेइणि-मण्डलु केत्तडउ' ॥९ ॥घत्ता॥ एम भणेवि णराहिवेंण उवयार करेंवि सासणहरहुँ। उभय-सेढि-विणिवासियहुँ पट्टविय लेह विजाहरहुँ ॥ १० 3. मालाणे. 4 Ps संकल'. 5 P वयणु. 6 Ps वे. 78A गय. 8 घेई, 40 A 91. 9 P 8 gm. 10 PS A mig. 11 P 8 ok. 12 P 8 STOTT, A STIUTĖ. 15. 1A सव्वं पिउ. 2 A °वेयण. 3 P गयणियणा, A थिय भवेयण. 48 पुणती 5 पर. 6 चह.7 मेंदुएहि, सिंदुयहि, 4 जिंदुवहिं. 8 PSA मुहूं. 9. 10P एउ. 11 PS सासणहरहं. 12PS विजाहरहं. [१५] १ बूतानाम्. 23