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पत्थर-युग के दो बुत
 

१० पन्चर-युग के दो बुत है ? तुम तो वाईस वर्ष के तजुर्वे कार आदमी हो? उसने फिर उसी प्रसर फीकी हंसी हनकर कहा। मैंने कहा, 'इसका तो कोई एक नियम नही प्रतीत होना, परन्तु मेला प्रतीत होता है कि स्त्री-पुरुप की एकता के बीन शरीर की अपेक्षा मन की महत्ता अधिक है। मानभित क्षोभ उनकी एकान्त एकता मे बाधा है। शिक्षा ने अब-गी-पुरुप दोनो ही का मानसिक स्तर ऊपर उठ गया है। इसलिए मनोविकार और मनस्तुग्टि शरीर-तुष्टि में प्रति महत्व रयतेने है।" सागर पनप युग मे ऐमा न था।" मापद या, शायर या-कुच ठीक नहीं कह सकता, पर एक बात TTTTTTTT पाते है जो सी-पुरुप दोनो को एक दूसरे के प्रति का करती है। हम मामिल कोमलता प्रोर पारमार्गरण की भावना & कर भी शिा पालनही कही जा सकती। बहुत स्त्रिया TH, दुरापारी या म भी प्रसन्न पार मन्तुष्ट रहती है। - गुणा पदारती है। पता का प्रादश भी प्रिय नहीं होता। RTOr म नि ! IT ट स्निगा। प्रिय न जाते है।

दुपारी मार्ग (टाया परनी स्त्रिया प्रमन हो उनी ।।"

घाम प्रेम नम्वन्धमा जाते तो राग सदन का प्रश्न पर अनायास ही हमी ग्रा गई। यह II विटन मयार नया पनि प्राया। मन F7T? 9.77 17" TFT er fra ariffitâ vir jos मन-नी नानहानी।" 711