पृष्ठ:पत्थर युग के दो बुत.djvu/१२३

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सुनीलदत्त काम- काम-विज्ञान की कुछ पुस्तके खरीद लाया है। उनका घर रहा है । राय ने जो यह बात कही है शिविरा उसी प्रेमीमा हैं जिसमे कामावेग का भीपण पाशविक प्रारमग निHि', मैं इस विचित्र विपय का सागोपाग अध्ययन कर । जीवन के सुख-दुख के इतने निकट है तो यह मान II' जाता? इस पर तो डाक्टरेट करना चाहिए। बदा विविध म-विज्ञान स्त्रियो की और पुम्पो की प्रला- रत्ना गनिया है। ये जातिया सामाजिक स्तर पर नहीं होती-जन भार नन न के आधार पर होती है। पतली-दुवली, लन्ध रीर को 3-1..' जिसकी उगलिया और मध्य शरीर नी लन्ना हो, जानन , लाल रंग के वस्त्र पसन्द करे, नोधी हो, गरीर पर नीनी न्ने ! गरीर के नीचे का भाग भी लम्बा हो, मर-मन्दिर पर नमन हो, रति जल क्षारगन्धि हो, शीन तृप्त हानवानी हो - हो, न कम न अत्यधिक बानी हो पिन तिनीहा ग्रादत हो, मलिनचित हो, स्वर से कनान :- मेरी रेखा शालिनी नहीं है