पृष्ठ:पत्थर युग के दो बुत.djvu/१५८

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सुनीलदत्त ? रेखा घर मे नही है तो कहा है ? कहा है अाज दस दिन वाद मैं घर लौटा हू। कल्पना कर रहा था कि वह बराडे मे पाखें विछाए खडी होगी। अपनी अवाई का तार मैं भेज चुका था। पर यहा सन्नाटा है। "प्रद्युम्न सो रहा है ? अाया-आया, क्या तुम सो रही हो ?" आया हडबडाकर खडी हो गई । उसने आखे मलते-मलते कहा, "जी नही।" tie 1) ?" "लेकिन रेखा कहा ?" "जी-जी "कहो-कहो ।"-क्या कोई दुर्घटना हो गई है ? रेखा है ? रेखा नही है? कितनी आशकागो से मेरा मन भर गया है। पर आया नीची नज़र किए खडी है, जवाब नहीं देती। "जवाब दो आया ? क्या उसकी तबीयत खराब है "जी नही।" "वह ठीक-ठाक तो है "जी।" "लेकिन कहा है "जी-जी "जी-जी क्या बकती हो ? कहती क्यो नही ? कहा है रेखा?" "राय के घर गई है, अभी लौटी नही हैं।" "क्या राय के घर 211 211 " 1 ? ?"