पृष्ठ:पत्थर युग के दो बुत.djvu/१८४

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१७६ पत्यर-युग के दो वुत गधे के सिर, जरा धीरज धर। अव कुछ ही घडी की वात है। तेरा पूरा इलाज हो जाएगा। सिरदर्द का अचूक इलाज मेरी जेब मे है। प्रद्युम्न ने बहुत-सी चीज़े खरीदी हैं। रेखा उमे रोक रही है और मे बढावा दे रहा हू-खरीदो-खरीदो वच्चे | खूब खरीदो। लेकिन यह क्या बात है-बेटा कहते मेरी जवान कटती है। खैर, खरीदो बच्चे, खरीदो, खूब । अभी जेव मे रुपये है, बहुत हैं । घडी-भर बाद ये सब मेरे किम काम आएगे भला । सभी को खर्च कर दिया जाए। सिनेमा आ गया पिक्चर कौन-सी है, यह जानने से मुझे क्या मरोकार है ? मैंने टिकट खरीदे है। टिकट लेकर चल दिया, फिरती लेना भूल गया। वह पुकार रहा है-फिरती वापस लीजिए माहब। लामो भाई दे दो या अपने पास रख लो। मेरे किस काम की हैं ये सब चीजे । वाक्स मे हम जा बैठे। पिक्चर शुरू हो गई है। मगर सिर मे चाकू चल रहे हैं मालूम होता है, शरीर का सारा ख्न सिर मे पाकर जमा हो गया है। पता नही इतना शोर क्यो हो रहा है शायद वाहर लोग लड रहे है, चीख-चिल्ला रहे हैं, या बादल गरज रहे है या क्या हो रहा है 'कुछ भी हो। मैं तो पिक्चर देख रहा है । पर दीखता तो कुछ भी नही । यह क्या बात है ? ये तो रग-बिरगे धब्बे पा रहे है, जा रहे है। चश्मा तो मेरी पाखो पर लगा है। फिर यह क्या बात है | शायद चश्मा उतर गया है । नम्बर बदलवाना होगा। दूसरा चश्मा खरीदना होगा। लेकिन किस- लिए? केवल दो घडी की बाकी जिन्दगी के लिए? अरे वाह रे मुर्ख । दत्त, त् मूर्ख है ऐं ? किसने कहा ? "रेखा, तुमने सुना "क्या "कुछ नही। पिक्चर है शानदार। क्यो है न?" रेखा मेरे मुह को ताक रही है। अकस्मात् ही में उठ खडा हुअा ह् । रेखा घबरा गई है । "क्यो ? क्या हुआ "प्रोफ, बडी गलती हो गई, रेखा | अभी पाया मै पाच मिनट मे। ? 211 21 202 प-११