पृष्ठ:पत्थर युग के दो बुत.djvu/१९६

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न्यायपति यह प्रमाणित है कि अभियुक्त सुनीलदत्त एक प्रतिष्ठित और प्रतिभा- वान् पुरुप है। वह राज्य का एक निष्ठावान् आफीसर रहा है, और उमने कठिन अनसरो पर धैर्य और बुद्धिमत्ता का परिचय दिया है। उसका काम सराहनीय है, और उसे कभी गम्भीर परिस्थितियो मे भी मन का मतुलन गोते नहीं देखा गया। वह एक आदर्श चरित्रवान् व्यक्ति है। अभियुक्त पर हत्या के इरादे से मृत दिलीपकुमार राय के घर मे जाने पोर उमकी हत्या करने का आरोप है। अभियुक्त ने स्वीकार किया है कि उसने यह हत्या की, और हत्या के ही इरादे से वह मृत व्यक्ति के घर गया। परन्तु वह अपने को दोपी नहीं स्वीकार करता। उसका कहना है कि उसने अपने उच्च चरित्र और निष्ठा के प्रावार पर ही यह कृत्य किया है। वह यह स्वीकार करता है कि उसने कानून को अपने हाथ में लिया, परन्तु वह यह नहीं मानता कि ऐसा करके उसने कुछ अनुचित किया है। बेशक वह सिद्वान्तत कानून को हाथ में लेने के विन्द्व है, परन्तु अपने को वह दमका विशिष्ट अधिकारी मानता है। मृत पुम्प की हत्या हुई है, और यह हन्या दृढ निश्चय के साथ अभियुक्त ने की है। मैने अभियोग के मब प्रगो पर विचार किया हे पौर म समझता हूँ कि कानून की दृष्टि से कुछ वाते विचारणीय है, जिनके अाधार पर निर्णय निर्भर है। कानून की नजर में छोटे-बडे का भेद नहीं है । मब परावर ह । कानून मे यदि नुक्म है तो दनकी जिम्मेदारी कानुन बनानेवाली घागनना पर है । मु के केवन यह देखना ह किमान कानुन