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पत्थर-युग के दो बुत
 

२२ पत्थर-युग के दो वुत और तव दिलीपकुमार ने भी अभिप्राय समझ उन्हे सोने की सलाह दी। वस्त्र उतारते-उतारते भी वे वडवडा रहे थे। अन्तत वे सो गए। दिलीप- कुमार एकदम मेरे निकट आ गए। उनका गर्म श्वास मेरे कपोलो पर टकराने लगा, उनका वक्ष मुझे छू गया। उन्होने भरीए कण्ठ से कहा, "जाता हूँ " और वे चले गए।