पृष्ठ:पदुमावति.djvu/५५०

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४४४ पदुमावति । २० । बसंत-खंड । [२०३ चित्रलेखा रात को द्वारिका में जा कर सोते हुए अनिरुद्ध को उठा लाई और ऊषा से मिला दी। इस पर द्वारिका में अनिरुद्ध को न देख कर बहुत घबडाहट मची और इधर पुत्री के साथ अनुचित व्यवहार करने से बाणासुर ने अनिरुद्ध को कैद कर लिया। बहुत दिनों के बाद नारद से खबर पा कर, कृष्ण शोणितपुर गए और वाणासुर को पराजय कर, ऊषा के साथ अनिरुद्ध को द्वारिका में ले पाए। श्रीमद्भागवत के दशमस्कन्ध ६२-६३ अध्याय में दूस की सविस्तर कथा लिखी है ॥ (सो रानौ तुम घबडाओ मत ) तुम को (सदा) सुख, सौभाग्य है और पान फूल के रस का भोग है; ऐसा सपने का संयोग, श्राज कल मैं ( मच ) हुआ चाहता है ॥ २०३ ॥ इति वसन्त-खण्डं नाम विंश-खण्डं समाप्तम् ॥ २० ॥