पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/२११

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में संक्रमण धीरे-धीरे और युग्म-परिवार के एकनिष्ठ विवाह में संक्रमण के साथ-साथ हुआ। व्यक्तिगत परिवार समाज की प्रार्थिक इकाई बनने लगा। ग्राबादी के पहले से ज्यादा घनी होने की वजह से यह जरूरी हो गया कि वह आन्तरिक तथा वाह्य रूप से अधिक एकताबद्ध हो। हर जगह एक दूसरे से रिश्ते से जुड़े कबीलो को मिलाकर महासंघ बनाना और उसके कुछ समय बाद उनका विलयन आवश्यक हो गया और तब अलग-अलग कबीलों के इलाके मिलकर एक जाति का इलाका वन गये। सेनानायक - rex, basileus, thiudans-स्थायी अधिकारी बन गया जिसके बिना काम नही चल सकता था। जहां कही अभी तक जन-सभा नही थी, वहां वह कायम कर दी गयी। गोत्र-समाज ने जिस सैनिक लोकतंत्र के रूप में विकास किया था, उसके मुख्य अंग थे सेनानायक , परिषद् और जन-सभा। सैनिक लोकतंत्र इसलिये कि युद्ध करना और युद्ध के लिये संगठन करना जाति के जीवन का एक नियमित अंग बन गया था। एक जाति अपनी पड़ोसी जाति की दौलत देखकर लालच करने लगती थी। दौलत हासिल करना इन जातियों के लिये जीवन का एक मुख्य उद्देश्य बन गया था। ये बर्बर लोग थे : उन्हें उत्पादक काम से लूट-मार करना अधिक प्रामान , यहा तक कि अधिक सम्मानप्रद लगता था। एक जमाना था जब केवल आक्रमण का बदला लेने के लिये या अपने नाकाफ़ी इलाके को वढाने के लिये युद्ध किया जाता पा, पर अब केवल लूट-मार के लिये युद्ध होने लगा और युद्ध करना एक नियमित पेशा बन गया। नये किलाबंद शहरो के चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवारे अकारण नहीं बनायी गयी थी-उनकी गहरी खाइयां गोल-व्यवस्था की का बन गयी थीं और उनकी मीनारें अभी से सभ्यता के युग को छूने लगी थी। अन्दरूनी मामलों में भी इसी तरह का परिवर्तन हो गया। लूट- मार के लिये होनेवाले युद्धों ने सर्वोच्च सेनानायक की और उप-सेनानायकों की शक्ति बढ़ा दी। पहले, आम तौर पर एक ही परिवार से लोगों के उत्तराधिकारी चुने जाने की प्रथा थी, अब , विशेषकर पितृ-सत्ता कायम हो जाने के बाद, वह धीरे-धीरे वंशगत उत्तराधिकार के नियम में बदल गयी। शुरू में इसे लोग छूट देते थे, बाद मे 'इसका दावा किया जाने लगा और अन्त मे यह जबर्दस्ती कायम कर लिया गया। इस प्रकार वंशगत वादशाही पौर वंशगत अभिजात्य की नीव पड़ गयी। इस तरह धीरे-धीरे गोन-व्यवस्था को संस्थानो की जई जनता के बीच मे, गोत्रों, विरादरियों और कबीलों . २११