. खुलेग्राम इसके गीत प्रेम के रूप में, एकमात्र इस रूप में या अधिकतर इस रूप मे ही,- इस यौन-प्रेम का विकास हुआ। पुरुप के आधिपत्य के अंतर्गत कठोर एकनिष्ठ विवाह का पूरा रूप ही ऐसा था कि यह बात असम्भव थी! उन सभी वर्गों में, जो ऐतिहामिक रूप से सक्रिय थे, यानी जो शासन करते थे, विवाह का सदा वही रूप रहा, जो युग्म-विवाह के समय से चला आ रहा था, यानी यह कि माता-पिता अपनी सुविधा से बच्चों का विवाह कर देते थे। इतिहास मे यौन-प्रेम का जो पहला रूप प्रगट हुआ, अर्थात् आवेग का रूप, ऐसे आवेग का , जिसका ( कम से कम शासक वर्ग का) प्रत्येक व्यक्ति अधिकारी समझा जाता था, और जो यौन-भावना का सर्वोच्च रूप समझा जाता था- और यही उसकी खास विशेषता होती है - वह पहता रूप मध्य युग के नाइटों का प्रेम था, जो किसी भी हालत मे वैवाहिक प्रेम नही था। इसके विपरीत ! प्रोवेस प्रात के लोगो मे , जहा यह नाइटो का प्रेम अपने क्लासिकीय रूप मे विद्यमान था, उसने खुल्लमखुल्ला विवाहेतर प्रेम का रूप धारण किया। उनके कवि-गण गाते थे। Albas जर्मन मे Tagelieder ( उपा के गीत ) प्रोवेंसीय प्रेम-काव्य के उत्कृष्ट रूप हैं। इन गीतो मे हमें इसका बडा रंगीन वर्णन मिलता है कि नाइट किस प्रकार अपनी प्रेमिका के साथ। सदा किसी दूसरे पुरुष की पत्नी होती है, विहार करता है, और पहरेदार थाहर खड़ा पहरा देता रहता है और उपा की पहली धुंधली किरणो (alba) के फूटने पर उसे आवाज़ देता है ताकि किसी के देखने से पहले ही वह निकल जाये। इसके याद विदाई के क्षण के वर्णन मे कविता अपने चरम शिखर पर पहुंच जाती है। उत्तरी फ्रांस के निवासियो ने , और उनके साथ- साय हमारे योग्य जर्मनों ने भी, नाइटों के प्रेम के तौर-तरीकों के साथ- साय उनके अनुकूल इम काव्य-शैली को भी अपना लिया, और हमारे अपने धुजुर्ग वोल्फ़ाम फ़ॉन एशनवाख ठीक इसी विषय पर तीन अत्यन्त सुन्दर उपा के गीत छोड़ गये , जो मुझे उनकी तीन लम्बी वीर रस की कवितामों से कही पयादा पमन्द हैं। हमारे जमाने के पूंजीवादी ममाज में विवाह दो तरह का होता है। के पोलिक देशो में पहले की तरह प्राज भी माता-पिता अपने युवा पूजीवादी पुत्र के लिये उपयुक्त पत्नी ढूंढ लेते हैं और उगया परिणाम स्वभावतः यह होता है कि एकनिष्ठ विवाह में निहित अन्तविरोघ पूरी तरह उभर जो . CS