पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/१६२

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परीक्षागुरु.
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मुस्कराता जाता था और नाचता जाता था वह भोली, भोली सूरत, ठुमक, ठुमक कर नाचना, छिप, छिप कर बड़े की तरफ़ देखना, सैन मारना. उस्के मुस्करानें मैं दूध के छोटे. छोटे दांतों की मोंती की सी झलक देखकर थोड़ी देर के लिये ब्रजकिशोर अपनें सब चारा बिचार भूल गए परन्तु इस्को नाचता कूदता देखकर अब लडा मचल पडा उस्ने सब खिलोनें अपनें कब्ज़े मैं कर लिये और ठिनक, ठिनक कर रोने लगा. ब्रजकिशोर उस्को बहुत समझाते थे कि "वह तुम्हारा छोटा भाई है तुम्हारे हिस्से की बरफ़ी खाली तो क्या हुआ? तुम ही जाने दो" परन्तु यहां इन्बातों की कुछ सुनाई न थी इधर छोटे खिलोनों की छीना झपटी मैं लग रहे थे! निदान ब्रजकिशोर को बड़े के वास्तै बरफ़ी और छोटे के वास्तै खिलोने फिर मगानें पड़े. जब दोनों की रज़ामन्दी हो गई तो ब्रजकिशोर ने बड़े प्यार सै दोनों की एक, एक मिट्टी (मीट्टी चूमी) लेकर उन्हें बिदा किया और जाती बार बुढ़िया को समझा दिया कि "बहन को अच्छी तरह समझा देना वह कुछ चिन्ता न करे."

परन्तु बुढिया मकान पर पहुंची जितनें वहां की तो रंगत ही बदल गई थी मदनमोहन के साले जगजीवनदास अपनी बहन को लिवा लेजाने के लिये मेरठ सै आए थे वह अपनी मा अर्थात् (मदनमोहन की सास) की तबियत अच्छी नहीं बताते थे और आज ही रात की रेल मैं अपनी बहनको मेरठ लिवा ले जाने की तैयारी करा रहे थे मदनमोहन की स्त्री के मनमैं इस्समय मदनमोहन को अकेले छोड़ कर जानें की बिल्कुल न थी परन्तु एक तो वह अपने भाई सै लज्जाके मारे कुछ नहीं कह सक्ती थी दूसरे