पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/१६५

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पतिब्रता.
 

जाना न जाना करती रहती है मदनमोहन महीनों उस्की याद नहीं करता परंतु वह केवल मदनमोहन को देखकर जीती है वह अपना जीवन अपनें लिये नहीं; अपनें प्राणपति के लिये समझती है जब वह मदनमोहन को कुछ उदास देखती है तो उस्के शरीर का रुधिर सूख जाता है जब उस्को मदनमोहन के शरीर मैं कुछ पीड़ा मालूम होती है तो वह उस्की चिन्ता सै बावली बन जाती है मदनमोहन की चिन्ता सै उस्का शरीर सूखकर कांटा हो गया है उस्को अपनें खानें पीनें की बिल्कुल लालसा नहीं है परंतु वह मदनमोहन के खाने पीने की सब सै अधिक चिन्ता रखती है वह सदा मदनमोहन की बड़ाई करती रहती है और जो लोग मदनमोहन की ज़रा भी निन्दा करते हैं वह उन्की शत्रु बन जाती है वह सदा मदनमोहन को प्रसन्न रखनें के लिये उपाय करती है उस्के सन्मुख प्रसन्न रहती है अपना दुःख उस्को नहीं जताती और सच्ची प्रीति सै बड़प्पन का विचार रखकर भय और सावधानी के साथ सदा उस्की आज्ञा प्रतिपालन करती रहती है.

थोड़े ख़र्च मैं घर का प्रबंध ऐसी अच्छी तरह कर रक्खा है कि मदनमोहन को घर के कामों मैं ज़रा परिश्रम नहीं करना पड़ता जिस्पर फुर्सत के समय ख़ाली बैठकर और लोगों की पंचायत और स्त्रिओं के गहनें गांठे की थोथी बातों के बदले कुछ, कुछ लिखनें पढ़नें, कसीदा काढ़नें और चित्रादि बनानें का अभ्यास रखती है बच्चे बहुत छोटे हैं परंतु उन्को खेल ही खेल मैं अभी सै नीति के तत्व समझाए जाते हैं ओर बेमालूम रीति सै धीरे, धीरे हरेक वस्तु का ज्ञान बढ़ाकर ज्ञान बढ़ाने की उन्की

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