पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/१७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१७१
प्रामाणिकता.
 

हरेक कामकी राह बतानें वाली उपदेष्टा है परन्तु लोग सच्ची सावधानी और चालाकीका भेद नहीं समझते. क्या सच्ची सावधानी और चालाकी एक है.?

मनुष्यकी प्रकृतिमैं बहुतसी उत्तमोत्तम वृत्ति मोजूद हैं परन्तु सावधानीके बराबर कोई हितकारी नहीं है. सावधान मनुष्य केवल अपनी तबियत पर ही नहीं औरोंकी तबियत पर भी अधिकार रखसक्ता है वह दूसरेसै बात करते ही उसका स्वभाव पहचान जाता है और उस्सै काम निकालनें का ढंग जान्ता है. यदि मनुष्यमैं और गुण साधारण हों और सावधानी अधिक हो तो वह अच्छी तरह काम चला सक्ता है परन्तु सावधानी बिना और गुणोंसे काम निकालना बहुत कठिन है.

जिस्तरह सावधानी उत्तम पुरुषोंके स्वभावमैं होती है इसी तरह चालाकी तुच्छ और कमीने आदमियोंकी तबियतमैं पाई जाती है. सावधानी हमको उत्तमोत्तम बातें बताती है और उन्के प्राप्त करनें के लिये उचित मार्ग दिखाती है वह हर कामके परिणाम पर दृष्टि पहुंचाती है और आगे कुछ बिगाड़की सूरत मालूम हो तो झूंटे लालचके कामों को प्रारंभ सै पहले ही अटका देती है परन्तु चालाकी अपने आसपास की छोटी, छोटी चीजों को देख सक्ती है और केवल वर्तमान समयके फ़ायदोंका विचार रखती है. वह लदा अपनें स्वार्थ की तरफ झुकती है और जिस तरह हो सके, अपनें काम निकाल लेनें पर दृष्टि रखती है. सावधानी आदमी की दृढ बुद्धिको कहते हैं और वह जों, जों लोगोंमैं प्रगट होती जाती है, सावधान मनुष्यकी प्रतिष्ठा बढ़ती जाती है परन्तु चालाकी प्रगट हुए पीछे उसकी बातका असर नही रहता.