चालाकी होशियारीकी नक़ल है और वह बहुधा जान्वरों की सी प्रकृतिके मनुष्योंमैं पाई जाती है इस लिये उस्मैं मनुष्य जन्मको भूषित करनें के लायक़ कोई बात नहीं है वह अज्ञानियोंके निकट ऐसी समझी जाती है जैसे ठट्ठेबाजी, चतुराई और भारी भरकम पना बुद्धिमानी समझे जायं.
लाला ब्रजकिशोर सञ्ची सावधानी के कारण किसी के उपक़ार का बोझ अपनें ऊपर नहीं उठाया चाहते, किसी सै सिफ़ारश आदि की सहायता नहीं लिया चाहते, कोई काम अपनें आग्रह सै नहीं कराया चाहते, किसी को कच्ची सलाह नहीं देते, ईश्वर के सिवाय किसी भरोसे पर काम नहीं उठाते, अपने अधिकार सै बढ़कर किसी काम मैं दस्तंदाज़ी नहीं करते. औरों की मारफ़त मामला करनें के बदले रोबरू बातचीत करनें को अधिक पसंद करते हैं वह लेनदेन मैं बड़े खरे हैं परंतु ईश्वर के नियमानुसार कोई मनुष्य सब के उपकारों सै उऋण नहीं हो सकता. ईश्वर, गुरु और माता पितादि के उपकारों का बदला किसी तरह नहीं दिया जा सक्ता परंतु ब्रजकिशोर पर केवल इन्हीं के उपकार का बोझ नहीं हैं वह इस्सै सिवाय एक और मनुष्य के उपकार मैं भी बँध रहे हैं.
ब्रजकिशोर का पिता अत्यंत दरिद्री था अपनें पास सै फ़ीस देकर ब्रजकिशोर की मदरसे मैं पढ़ानें की उस्की सामर्थ्य न थी और न वह इतनें दिन खाली रखकर ब्रजकिशोर को बिद्या मैं निपुण किया चाहता था परन्तु मदनमोहन के पिता ने ब्रजकिशोर की बुद्धि और आचरण देखकर उसे अपनी तरफ सै ऊंचे दर्जे तक विद्या पढ़ाई थी उस्की फ़ीस अपने पास सै दी थी