बाकी नहीं छोड़ी परन्तु उस्का सब श्रम व्यर्थ गया उस्के समझाने से कुछ काम न निकला.
अब आज हरकिशोर और ब्रजकिशोर दोनों इज्जत खोकर मदनमोहन के पास सै दूर हुए हैं इन्मैं सै आगै चलकर देखें कौन् कैसा बरताव करता है?
प्रकरण १८.
साहसी पुरुष.
सानुबन्ध कारज करे सब अनुबन्ध निहार
करै न साहस, बुद्धि बल पंडित करै बिचार†[१]
बिदुरप्रजागरे.
हम प्रथम लिख चुके हैं कि हरकिशोर साहसी पुरुष था और दूर के सम्बन्ध मैं ब्रजकिशोर का भाई लगता था अब तक उस्के काम उस्की इच्छानुसार हुए जाते थे वह सब कामों मैं बडा उद्योगी और दृढ़ दिखाई देता था उस्का मन बढ़ता जाता था और वह लड़ाई झगडे वगैरे के भयंकर और साहसिक कामों मैं बड़ी कारगुजारी दिखलाया करता था. वह हरेक काम के अंग प्रत्यंग पर दृष्टि डालनें या सोच विचार के कामों मैं माथा खाली करनें और परिणाम सोचनें या काग़ज़ी और हिसाबी
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† अनुबन्धान पेक्षेत सानुबन्धेषु, कर्म्मसु।
संप्रधार्य च कुर्वीत न वेगेन समाचरेत्॥