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परीक्षागुरु.
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प्रकरण २९.
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बात चीत.

सीख्यो धन धाम सब कामके सुधारिवेको
सीख्यो अभिराम बाम राखत हज़ूरमैं॥
सीख्यो सराजाम गढकोटके गिराइबेको
सीख्यो समसेर बांधि काटि अरि ऊरमैं॥
सीख्यो कुल जंत्र मंत्र तंत्रहूकी बात
सीख्यो पिंगल पुरान सीख बह्यौ जात कूरमैं॥
कहै कृपाराम सब सीखबो गयो निकाम
एक बोलवो न सीख्यो गयो धूरमैं॥

शृंगार संग्रह.

"आज तो मुझ सै एक बडी भूल हुई" मुन्शी चुन्नीलाल ने लाला मदनमोहन के पास पहुंचते ही कहा "मैं समझा था कि यह सब बखेडा लाला ब्रजकिशोर नें उठाया है परन्तु वह तो इस्सै बिल्कुल अलग निकले यह सब करतूत तो हरकिशोर की थी. क्या आपने लाला ब्रजकिशोर के नाम चिट्ठी भेज दी?"

"हां चिट्ठी तो मैं भेज चुका" मदनमोहन ने जवाब दिया.

"यह बडी बुरी बात हुई. जब एक निरपराधी को अपराधी समझ कर दंड दिया जायगा तो उसके चित्त को कितना दुःख होगा" मुन्शी चुन्नीलाल नें दया करके कहा (!)

"फिर क्या करें? जो तीर हाथ सै छुट चुका वह लौटकर नहीं आसक्ता" लाला मदनमोहन नें जवाब दिया.