पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/२४१

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चालाक की चूक.
 

वह अपना हानि लाभ आप अधिक समझ सक्ते हैं" लाला ब्रजकिशोर नें भरम मैं कहा.

"तो ख़ैर मेरी तुच्छ बुद्धि मैं इस्समय हमारी निस्बत आप लाला मदनमोहन की अधिक सहायता कर सकते हैं और इसी मैं हमारी भी भलाई है" मुन्शी चुन्नीलाल बोले.

"तुमनें इन दिनों मैं नवल और जुगल (ब्रजकिशोर के छोटे भाई) की भी परीक्षा ली या नहीं! तुम गए तब वह बहुत छोटे थे परंतु अब कुछ, कुछ होशियार होते चले हैं" लाला ब्रजकिशोरनें पहली बात बदलकर घरबिधकी चर्चा छेड़ी,.

"मैंने आज उनको नहीं देखा परंतु मुझको उन्की तरफ सै भली भांत विश्वास है भला आपकी शिक्षा पाए पीछै किसी तरह की कसर रह सकती है?" मुन्शी चुन्नीलालने कहा,

"भाई! तुम तो फिर खुशामद की बातें करनें लगे यह रहनें दो घर मैं खुशामद की क्या ज़रूरत है?" लाला ब्रजकिशोर नें नरम ओलंभा दिया और चुन्नीलाल उन सै रुखसत होकर अपनें घर गया.