पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/२६२

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परीक्षागुरु.
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पात्रथे उनका तन्‌तना तो बहुतही बढ रहा था. उन्के सब अपराधोंसै जान बूझकर दृष्टि बचाई जाती थी. वह लोग सब कामों मैं अपना पांव अडाते थे और उन्के हुक्म की तामील सबको करनी पडती थी यदि कोई अनुचित समझकर किसी काम मैं उज्र करता तो उस्पर लाला साहब का कोप होताथा और इस दुफसली काररवाई के कारण सब प्रबन्ध बिगड रहा था (बिहारी)" दुसह दुराज प्रजान को क्यों न बढै दुंख दुद॥ अधिक अंधेरो जग करै मिल मावस रवि चंद॥" ऐसी दशा मैं मदनमोहन की स्त्रीके पीछे चुन्नीलाल और शिंभूदयाल के छोड जाने पर सब माल मतेकी लूट होनें लगे जो पदार्थ जिस्के पास हो वह उस्का मालिक बन बैठे इस्मैं कौन आश्चर्य है?