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परीक्षागुरु.
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कर इस डूबती नाव का सहारा लगानें वाला कोई न था. विष्णु पुराण के इस वाक्य सै उन्के सब लक्षण मिल्ते थे "जाचत हूं निज मित्र हित करैं न स्वारथ हानि। दस कौड़ी हू की कसर खायँ न दुखिया जानि॥+[१]"

निदान लाला मदनमोहन आज की डाक देखे पीछे बाहर के मित्रों की सहायता से कुछ, कुछ निराश हो कर शहर के बाक़ी मित्रों का माजना देखनें के लिये सवार हुए


 

प्रकरण ३७.


बिपत्तमैं धैर्य.

प्रिय बियोग को मूढ़जन गिनत गड़ी हिय भालि॥
ताही कोंं निकरी गिनत धीरपुरुष गुणशालि॥*[२]

रघुबन्शे.

लाला ब्रजकिशोर नें अदालत मैं पहुंचकर हरकिशोर के मुकद्दमे मैं बहुत अच्छी तरह बिबाद किया. निहालचन्द आदि के कई छोटे, छोटे मामलों मैं राजीनामा होगया जब ब्रजकिशोर को अदालत के काम सै अबकाश मिला तो वह वहां से सीधे मिस्टर ब्राइट के पास चले गए.


  1. x अभ्यर्थि तोपि सुत्‌हदा स्वार्थहानिं न मानवः॥
    पणार्धार्धाध मात्रेण करिष्यति तदाहिज॥

    • अवगच्छति मूढचेतन : प्रियनाशं तदृदिशल्य मर्पितम्॥

    स्थिरधी स्तुतदेव मन्यते कुशलहारतया समुद्धतम्॥