पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/२८५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२७५
सच्ची प्रीति.
 

प्रकरण ३८.


सच्ची प्रीति.

धीरज धर्म मित्र अरु नारी॥
आपतिकाल परखिये चारी॥

तुलसीकृत.

लाला ब्रजकिशोर बाहर पहुxचे तो उन्को कचहरी सै कुछ दूर भीड़ भाड़सै अलग वृक्षों की छाया मैं एक सेजगाड़ी दिखाई दी. चपरासी उन्हैं वहां लिवा ले गया तो उस्मैं मदनमोहन की स्त्री बच्चों समेत मालूम हुई. लाला मदनमोहन की गिरफ्तारी का हाल सुन्ते ही वह बिचारी घबरा कर यहां दौड़ आई थी उस्की आंखों सै आंसू नहीं थमते थे और उस्को रोती देख कर उस्के छोटे, छोटे बच्चे भी रो रहे थे. ब्रजकिशोर उन्की यह दशा देख कर आप रोनें लगे. दोनों बच्चे ब्रजकिशोर के गले से लिपट गए और मदनमोहन की स्त्रीनें अपना और अपनें बच्चोंका गहना ब्रजकिशोर के पास भेज कर यह कहला भेजा कि "आपके आगे उन्की यह दशा हो इस्सै अधिक दुःख और क्या है? ख़ैर! अब यह गहना लिजिये और जितनी जल्दी होसके उन्को हवालात सै छुड़ाने का उपाय करिये"

"वह समझवार होकर अनसमझ क्यों बन्ती हैं? इस घबराहट से क्या लाभ है? वह मेरठ गई जब उन्हों नें आप कहवाया था कि ऐसी सूरत मैं इन अज्ञान बालकों की क्या दशा