पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/२९८

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परीक्षागुरु.
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जब इस्का कुछ बस न चल सका तो यह मूर्छित होकर पृथ्वीपर गिर पडा और कुछ देर यों ही पड़ा रहा.

जब थोडी देर पीछे इसैं होश आया चित्त का उद्घेग कुछ कम हुआ तो क्या देखता है कि उस भयंकर प्रेतबदले एक स्त्री इस्का सिर अपने गोदमै लिये बैठी हुई धीरे धीरे इस्के पांवदबा रही है अंंधेरे के कारण उस्का मुख नहीं दिखाई देता परन्तु उसकी आंखोंसै गरम, गरम आंसुओं की बूंंद उस्के मुखपर गिर रहीं हैं और इन आंसुओंहीसै मदनमोहन को चेत हुआ है.

इस्समय लाला मदनमोहनके व्याकुल चित्त को दिलासा मिलनें की बहुत जरूरत थी सो यह स्त्री उन्हैं दिलासा देनेके लिये यहां आ पहुंंची परन्तु मदनमोहन को इससै कुछ दिलासा न मिला वह इसै देखकर उल्टे डरगए.

"प्रणन कैसै हो! आपके चित्तमैं इस्समय अत्यत व्याकुलता मालूम होती है इसलिये अपने चित्तका जरा समाधान करो हिम्मत बांधो मैं आपके लिये भोजन लाई हूंं सो कुछ भोजन करकें दो घूंंट पानी के पिओ जिस्सै आपके चित्तका समाधान हो इस छोटीसी कोठरी मैं अंधेरेके बीच आपको जमीन पर लेटे देखकर मेरा कलेजा फटता है” उस स्त्रीनें कहा.

"यह कोन? वही मेरी पतिव्रता स्त्री है जिस्नें मुझसै सब तरह का दुःख पाने पर भी कभी मन मैला नहीं किया! आवा जसै तो वैसीही मालूम होती है परन्तु उस्का आना संभव नहीं रातके समय कचहरी के बन्द मकान मैं पुलिस की पहरे चोकी के बीच वह बिचारी कैसै आ सकैगी! मैं जान्ताहूं कि मुझको