पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/३११

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सुधरनेंकी रीति.
 


सुधरे परन्तु जब वह शाहज़ादा बादशाह हुआ और राजका भार उस्के सिर आ पडा तो उस्नें अपनी सब रीति भांति एकाएक ऐसी बदल डाली कि इतिहास मैं वह एक बड़ा प्रामाणिक और बुद्धिमान बादशाह समझा गया. उस्नें राज पाते ही अपनी जवानी के सब मित्रोंको बुला कर साफ कह दिया था कि मेरे सिर राजका बोझ आ पड़ा है इसलिये मैं अपना चाल चलन सुधारा चाहता हूं सो तुम भी अपना चालचलन सुधार लेना आज पीछे तुम्हारी कोई बदचलनी मुझको मालूम होगी तो मैं तुम्हैं अपनें पास न फटकनें दूंगा. उस्से पीछे हेन्री ने बड़े योग्य, धर्मात्मा, अनुभवी और बुद्धिमान आदमियोंकी एक काउन्सिल बनाई और इन्साफ की अदालतों मैं सैं संदिग्ध मनुष्यों को दूर करके उन्की जगह बड़े ईमानदार आदमी नियत किये खास कर अपनें कैद करनें वाले गासकोइनकी बड़ी प्रतिष्ठा करके उस्सै कहा कि "जिस्तरह तुमनें मुझको स्वतन्त्रता सै कैद किया था इसी तरह सदा स्वतन्त्रता सै इन्साफ करते रहना"

“मेरे चित्तपर आपके कहनें का इस्समय बडा असर होता हैं और मैं अपनें अपराधोंके लिये ईश्वर सैं क्षमा चाहता हूं. मुझको उस अमीरीके बदले इस कैद मैं अपनी भूलका फल पानें सै अधिक संतोष मिलता है मैं अपनें स्वेच्छाचार का मजा देख चुका अब मेरा इतना ही निवेदन है कि आप प्रेमबिवस होकर मेरे लिये किसी तरह का दुख न उठायें और अपना नीति मार्ग न छोड़ें” लाला मदनमोहन ने दृढ़ता सै कहा.

"अब आपके विचार सुधर गए इस लिये आपके कृतकार्य (कामयाब) होने मैं मुझको कुछ भी संदेह नहीं रहा ईश्वर

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