पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/३१७

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सुखकी परमावधि.
 


की गई थी परन्तु कचहरी बरखास्त होनें सै पहले मैंने आपके छुडानें का हुक्म ले लिया था और इसी कारण सै मेरी धर्मकी बहन आपकी सुशीला स्त्री को आपके पास आनें मैं कुछ अडचल नहीं पड़ी थी. हां मैंनें आपका अभिप्राय जानें बिना मिसृट ब्राइट सै उस्की चीजैं फेरनें का वचन कर लिया है यह बात कदाचित् आपको बुरी लगी होगी” लाला ब्रजकिशोरने मदनमोहन का मन देखनें के लिये कहा.

“हरगिज नहीं, इस बातको तो मैं मनसै पसन्द करता हूं. झूठी भडक दिखानें मैं कुछ सार नहीं 'आई बहू आए काम गई बहू गए काम' की कहावत बहुत ठीक है और मनुष्य अपने स्वरूपानुरूप प्रामाणिक पनें सै रहकर थोडे खर्च में भली भांति निर्वाह कर सकता है” लाला मदनमोहननें संतोष करके कहा.

“अब तो आपके विचार बहुत ही सुधर गए. एबडोलोमीन्स को ग़रीबी सै एकाएक साइडोनिया के सिंहासन पर बैठाया गया तब उस्ने सिकन्दरसै यही कहा था कि "मेरे पास कुछ न था जब मुझको विशेष आवश्यकता भी न थी अब मेरा वैभव बढ़ेगा वैसी ही मेरी आवश्यकता भी बढ जायगी” कच्चे मनके मनुष्यों को अपनें खरूपानुरूप बरताव रखनें में जाहिरदारी की झूटी झिझक रहती है इसी सै वह लोग जगह, जगह ठोकर खाते हैं परन्तु प्रामाणिक पनें सै उचित उद्योग कर मनुष्य हर हालत मैं सुखी रह सक्ता है" लाला ब्रजकिशोरनें कहा.

“क्या अब चुन्नीलाल और शिंभूदयाल आदिको उन्की बदचलनी का कुछ मजा दिखाया जायगा?" लाला मदनमोहनने पूछा,