पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/४१

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विषयासक्त
 


शरीर और मन क्रम से दुर्बल होकर किसी काम का नहीं रहता, पाचन शक्ति के घटने से तरह-तरह के रोग उत्पन्न होते हैं और मानसिक शक्ति घटने से चित्त की विकलता, बुद्धि की अस्थिरता, और काम करने की अरुचि उत्पन्न हो जाती है जिससे थोड़े दिन में संसार दु:खरूप मालूम होने लगता है."


“परंतु अत्यंत मेंहनत करने से भी तो शिथिलता हो जाती है” बाबू बैजनाथ ने कहा.


“इससे यह बात नहीं निकलती कि बिल्कुल मेंहनत न करो सब काम अंदाजसिर करने चाहिये" लाला ब्रजकिशोर कहने लगे "लिडिया का बादशाह कारून साईरस से हारा उस समय साईरस उसकी प्रजा को दास बनाने लगा तब कारून ने कहा "हमको दास किस लिये बनाते हो? हमारे नाश करने का सीधा उपाय यह है कि हमारे शस्त्र ले लो, हम को उत्तमोत्तम वस्त्र भूषण पहनने दो, नाच रंग देखने दो, श्रृंगार रस का अनुभव करने दो, फिर थोड़े दिन में देखोगे कि हमारे शूरबीर अबला बन जायेंगे और सर्वथा तुम से युद्ध न कर सकेंगे” निदान ऐसा ही हुआ. पृथ्वीराज का संयोगिता से विवाह हुए पीछे वह इसी सुख में लिपट कर हिन्दुस्तान का राज खो बैठा और मुसलमानों का राज भी अंत में इसी भोग विलास के कारण नष्ट हुआ.


“आप तो ज़िस बात को कहते हैं हद्द के दरजे पर पहुंचा देते हैं भला! पृथ्वीराज और मुसलमानों की बादशाहत का लाला साहब के काम काज से क्या संबंध है? उनका द्रव्य बहुत कर के अपने भोग विलास में खर्च होता था परंतु लाला