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परीक्षा गुरु
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साहब का तो परोपकार में होता है” मास्टर शिंभूदयाल ने कहा.


"देखिये लाला साहब का मन पहले नाच तमाशे में बिल्कुल नहीं लगता था पर इन्होंने चार मित्रों का मेल मिलाप बढ़ाने के लिये अपना मन रोक कर उनकी प्रसन्नता की." पंडित पुरुषोत्तमदास बोले.


“बुरे कामों के प्रसंग मात्र से मनुष्य के मन में पाप की ग्लानि घटती जाती है. पहले लाला साहब को नाच रंग अच्छा नहीं लगता था पर अब देखते-देखते व्यसन हो गया फिर जिन लोगों की सोहबत से यह व्यसन हुआ उनको मैं लाला साहब का मित्र कैसे समझूँ? मित्रता का काम करे वह मित्र समझा जाता है अपने मतलब के लिये लंबी-लंबी बातें बनाने से कोई मित्र नहीं हो सकता." लाला ब्रजकिशोर कहने लगे. सादी ने कहा है “एक दिवस में मनुज की विद्या जानी जाय! पै न भूल, मन को कपट बरसन लग न लखाय!!"


"तो क्या आप इन सब को स्वार्थ पर ठहरा कर इनका अपमान करते हैं?" लाला मदनमोहन ने जरा तेज होकर कहा.


“नहीं, मैं सब को एक-सा नहीं ठहराता परंतु परीक्षा हुए बिना किसी को सच्चा मित्र भी नहीं कह सकता” लाला ब्रजकिशोर कहने लगे. “केलीप्स नामी एक एथीनियन से साइराक्यूस के बादशाह डियोन की बड़ी मित्रता थी. डिओन बहुधा


तवां शनाख्त बयकरोज़ दर शमायल मरद. किता कुजाश रसीदस्त पायगाह उलूम. वले ज़ बातिनश एमन मवाशो गर्रा मशो. के खुब्स नफ्स नगदर्द बसालहा मालूम.