पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/४३

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विषयासक्त
 


केलीप्स के मकान पर जाकर महीनों रहा करता था. एक बार डिओन को मालूम हुआ कि केलीप्स उसका राज छीनने के लिये कुछ उद्योग कर रहा है. डिओन ने केलीप्स से इसका वृत्तांत पूछा. तब वह डिओन के पांव पकड़कर रोने लगा और देवमंदिर में जाकर अपनी सच्ची मित्रता के लिये कठिन से कठिन सौगंध खा गया पर असल में यह बात झूठी न थी. अंत में केलीप्स ने साइराक्यूस पर चढ़ाई की और डिओन को महल ही में मरवा डाला! इस लिये मैं कहता हूं कि दूसरे की बातों में आकर अपना कर्तव्य भूलना बड़ी भूल की बात है”


“अच्छा! फिर आप खुलकर क्यों नहीं कहते आप के निकट लाला साहब को बहकाने वाला कौन-कौन है?” पंडित जी ने जुगत से पूछा.


“मैं यह नहीं कह सकता जो बहकाते होंगे; अपने जी में आप समझते होंगे मुझको लाल साहब के फायदे से काम है और लोगों के जी दुखाने से कुछ काम नहीं है. मनुस्मृति में कहा है 'सत्य कहहु अरु प्रिय कहहु अप्रिय सत्य न भाख॥ प्रियहु असत्य न बोलिये धर्म सनातन राख.' इसलिये मैं इस समय इतना ही कहना उचित समझता हूं." लाला ब्रजकिशोर ने जवाब दिया.

और इसपर थोडी देर सब चुप रहे.




सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्॥
प्रियं च नानृतं ब्रूया देशधर्मस्सनातन:॥