पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/७७

विकिस्रोत से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६९
प्रबंध(इन्तज़ाम).
 


आप ही बताइये इसमें मैंनें झूठ क्या कहा? मास्टर शिंभूदयाल पूछने लगे

"लाला साहब ने म्युनिसिपेलिटी का सालाना आमद खर्च अच्छी तरह समझ लिया होगा? आमदनी बढ़ाने के रास्ते अच्छी तरह विचार लिये होंगे? शहर की सफ़ाई के लिये अच्छे-अच्छे उपाय सोच लिये होंगे? लाला ब्रजकिशोर ने पूछा “नहीं, इन बातों में से अभी तो किसी बात पर दृष्टि नहीं पहुंचाई गई परंतु इन बातों का क्या है? ये सब बातें तो काम करते करते अपने आप मालूम हो जाएँगी” लाला मदनमोहन ने जवाब दिया.

अच्छा आप अपने घर का काम तो इतने दिन से करते हो उसके नफे नुक्सान और राह बाट से तो आप अच्छी तरह वाकिफ़ हो गये होंगे? लाला ब्रजकिशोर ने पूछा.

इस समय लाला मदनमोहन नावाकिफ़ नहीं बना चाहते थे परंतु वाकिफ़कार भी नहीं बन सकते थे इस लिये कुछ जवाब न दे सके.

“अब आप घर की तरह वहां भी औरों के भरोसे रहे तो काम कैसे चलेगा? और सब बातों से वाकिफ होने का विचार किया तो वाकिफ होंगे जितने आप के बदले काम कौन करेगा?” लाला ब्रजकिशोर ने पूछा.

“अच्छा मंजूरी आवेगी जितने में इन बातों से कुछ-कुछ बाकिफ़ हो लूंगा” लाला मदनमोहन ने कहा.

"क्या इन बातों से पहले आप को अपने घर के कामों से वाकिफ होने की ज़रूरत नहीं है? जब आप अपने घर का