पृष्ठ:पुरातत्त्व प्रसंग.djvu/१३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२८
पुरातत्त्व-प्रसङ्ग


इसका ठीक ठीक पता लग जाय तो कितनी ही उल्झी हुई गाँठे सुलझ जाय।

द्रविड़ों के उद्भव के विषय में विद्वानों ने अनेक कल्पनायें की हैं। किसी ने उनका सम्बन्ध आस्ट्रेलिया के असभ्य मनुष्यों से बताया है किसीने मध्य एशिया की तूरानी जातिवालो से, किसी ने किसी और ही से । बलोचिस्तान में ब्राहुई नाम की एक मनुष्य-जाति रहती है । उसकी भाषा द्रविड़ों की भाषा से मेल खाती है। यदि वे और द्रविड़ लोग किसी समय एक ही जाति के अन्तर्गत रहे हों तो उनका आगमन बलोचिस्तान ही की तरफ से भारत में हुआ होगा। परन्तु वे आये कहाँ से होंगे ? पहले वे रहते कहां थे ? इसका क्या उत्तर ?

आर्यों का इतिहास-काल आज से कोई तीन हजार वर्ष पहले से आरम्भ होता है । अर्थात् उस समय से जब आर्य भारत में आ गये थे और यहाँ के आदिम निवासियों को परास्त करके उन्हें उन्होंने छिन्न-भिन्न कर दिया था । वेदो और ब्राह्मणों का अस्तित्व भी तभी से माना जाता है । परन्तु न तो उस समय की किसी इमारत ही का ध्वंसावशेष मिला है और न आर्यों की कोई और ही वस्तु प्राप्त हुई है। आर्यों के भारत में आने के पाँच छ. सौ वर्ष बाद तक इनमें से किसी वस्तु का कुछ भी पता नही। तो क्या, उनके आगमन के पहले इस देश में सभ्यता