पृष्ठ:पुरानी हिंदी.pdf/११३

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११२ पुरानी हिंदी युद्ध स० माना ७५, ७८ वस्तु, वदनक, कर्पूर ( उल्लाला? ) का योग ७६ सुमनोरमा १२ ये छद आए हैं । इनमे से नमूने की तरह कुछ इस लेख के उदाहरण भाग पूर्वार्द्ध में दिए गए है । पुराने अपभ्रश के उदाहरणो से ये कुछ क्लिष्ट हैं जिसका कारण ऊपर तथा पहले बताया जा चुका है और स्पष्ट है। यह तो हेमचद्र की रचित पुरानी हिंदी है । कुमारपाल चरित कुमारपाल के राज्य मे बना । कुमारपाल की राजगद्दी स० ११९६ और मृत्यु स० १२३० में हुई । हेमचद्र की मृत्यु स० १२२६ मे हुई। शिलारा मल्लिकार्जुन से १२१७-१८ में हुआ मानना चाहिए । अतएव कुमारपाल चरित (याश्रय काव्य) और उसके अतर्गत इस अपभ्रश (पुरानी हिंदी) कविता का रचनाकाल वि० स० १२१८ से वि० स. १२२६ तक किसी समय है। हेमचद्र का व्याकरण सिद्धराज जयसिंह की आज्ञा से उसी के राजत्वकाल मे अर्थात् २०११ से पूर्व बना । व्याकरण की वृहद्वृत्ति और उसका उदाहरण सग्रह सूत्रो के साथ ही वने होगे। इसलिये द्वितीय भाग मे उद्धृत कविता के प्रचलित होने का समय स० ११६६ से पूर्व है। यह बार वार कहने की आवश्यकता नही कि यह उसकी उपलब्धि का निम्नतम समय है, ऊर्द्धतम समय मुज के नामाकित दोहे से लेना चाहिए । अर्थात् यह कविता स० १०२६ से ११६६ तक लगभग दो शताब्दियों की है। 1 जव हेमचन्द्र के उदाहरणो की व्याख्या लगभग लिखी जा चुकी थी तब दोधक वृत्ति नामक अथ उपलब्ध हुआ। इसे सन् १९१६ ई० मे अहमदावाद मे श्रावक भगवानदास हर्षचद ने छपवाया था। इसमे रचयिता का नाम नही दिया किंतु प्रत मै यह लेख मिलता है-- 1 17 १. पत्रिका भाग २,पृ० १३२ । २. सिद्धराज जयसिंह पृथ्वीराज के पिता सोमेश्वर का नाना था तथा सोमेश्वर की पालना कुमारपाल ने की थी। माल्लिकार्जुन की लड़ाई पृ०४००-१३ अव मिलाओं भाग २, ५५-५६ पृ०.६१ की सारणी।। २. ना० प्र. पत्रिका, भाग १, पृ० ४००--४०१ ।