पृष्ठ:पुरानी हिंदी.pdf/१४२

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पुरानी हिंदी . 1 सा नकल करते हैं, सदृश होते हैं, भरणना-कहना । कज्ज कवरणेन-किस कार्य से? किस बात से कवरण-कौन । जि जिवं ति तिवं जिमि जिमि (भाजतः थक्रसुत,) • तिमि तिमि (धावत रामसर)" (रामचरितमानस)। (५१) 'जइ ' ससणेही तो मुइन प्रहजीवई निन्नेह । विहिंवि पयारेहिं गइन घण कि गज्जहि खल मेह ।। यदि, सस्नेही, (है) तो, मुई, और (जो) जीती है, (तो) निर्नेह (है), दोनोही, प्रकारों से, गई, नायिका, क्यो गाजता है? खल मेघ ! यदि स्नेहवती हुई तो वियोग मे मेध गर्जन सुनकर मर गई , यदि जीती है तो उसे नेह नही, प्रिया तो दोनो ही तरह से गई। विहि-दोनो, वे= द्वे (२०) । मुझ गइन-मई, गई। (५३) भमरु म रुणुझुणि रण्डइ सा दिसि जोइ म रोइ । मालइ देसन्तरिम जस तुहुँ मरहि विनोइ॥ भ्रमर, मत, रुनझुन (शब्द) कर अरण्य मे, वह, दिशा, जोहकर, मत, रो, वह, मालती, देशातरित (है), जिसके, तू, मरता है, वियोग मे । रुणझुण- अनुकरण शब्द का नामधातु । रण्ण्डइ-~देखो ऊपर (१७) रन्न' । (५४) पई मुक्काहवि वर-तरु फिट्टइ पत्तत्तणं न पत्ताएं । तुझ । पुणु, छाया जइ होज्ज कहविता तेहिं पत्तेहि ।। तुम से, मुक्तो (छोडें हुओ) का, भी, है वरतरु | फिटता है, (बिगडता है) पत्तापन, न, पत्तो का, 'तेरी, पुनि, छाया, यदि, होवे, किसी तरह भी, (तो) वह उन्ही पत्तो से (होगी) अन्योक्ति । मुक्क-मूका (गुजराती)। फिट्टइ-हटता है, बिगड़ जाता है मिलामो दूध फिटना, फिटकार, मर फिट हे ! होज्ज होवे तो, होती तो । दोधक वृत्ति मे विवरतर' एक पद मानकर 'वि' (पक्षी)+वर (अच्छे) का तरु' भी अर्थ किया है। T: 13 (५५),-- 1(F.- महु गहियउ तह, ताए तुह. सवि अन्ने दिनडिज्जइ । गिलिज्जा॥ । पिन, काइ करउ, हांकाइ तुहु मच्छे मच्छ . .