पृष्ठ:पुरानी हिंदी.pdf/१५५

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१५४ पुरानी हिंदी तिलो का तिलपन, तो (लो), पर, जौ (लो), न, नेह, गलता है, या गलाते है, नेह, प्रनष्ट (होने) पर वे हो, तिल, तिल, (से), फिट कर, खल, होते है। नेह के दो अर्थ-चिकनाई और प्रेम, खल के दो अर्थ, खल और दुर्जन । नेह निकला कि खल हो गए। दोधकवृत्ति ने नेह को बहुवचन 'गलन्ति' का कर्ता माना है, अधिक सभव है कि 'तिल' कर्ता हो और 'नेह' कर्म । तेज्जि--तेईज ( गुज० मारवाडी ) देखो प्रवध १७ (पत्रिका भाग २, पृ० ४६ ), फिट्टवि-- फिट् ----विगडना, भ्रष्ट होना, मिलाओ फिट मुए, ( ऊपर, ५४) फटना से पट् या पाट् से है, फिट् भ्रश् ( भ्रष्ट होने से ) । १०० जामहि विसमी कज्जगइ जीवहि मज्झे एइ । तामहि अच्छत इयरु जणु, सुअणुवि अन्तरु देइ ।। जब विषम कार्यगति, जीवो के, मध्य मे, आती, है, तब रहो, इतर जन, स्वजन, भी अंतर, देता है । इतर जन तो अलग रहा, स्वजन भी किनारा कसता है। जामहि तामहि, जाऊँ ताउं (६८) जाम ताम (EC) यावत् । ताबत मझे--माझे मांझ मे, मध्ये । अच्छउ"ाछो, हो, उसको तो वात ही क्यो। 17 c) Ti . ( १०१.) जेवडु अन्तरु रावण रामह 'तेवडु अन्तरु पट्टण गामह । जितना, अतर रावण-राम (का) तितना, अतर, पट्टन (नगर) (और) गाँव का। जेवडु तेवडु-वडो तेवडो (गुज० राज.) जितना तितना । किसी रावण पक्षपाती की उक्ति । दोधकवृत्ति के अनुसार ग्राम पट्टण का क्रम बदलने की आवश्यकता नही। (१०२० ते 'मुग्गडा हराविमा 'जे परिविळा ताहै । अवरोप्परु जोअन्ताह सामिउ गजिउ' जाहं ।। वे, मूंग हराए गए ( अकारथ गएं ), जो परोसे गए, उनके ( उन्हें ) नीचे ऊपर, जोहते हुओ के, (जिनके .) स्वामी, गॅजा गया, जिनका। इधर 'मूंग परोसना' बड़े आदर और उत्सव की बात है ।जवाई माता है या त्योहार होता है ii* 1 स