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"प्रकाशकीय वक्तव्य"
'पुरानी हिंदी' का यह पुनर्मुद्रित संस्करण है । अपने नयल्पान्मार एक युग व्यतीत हो जाने पर भी इसका इच्छित संस्कारण हम प्रस्तुत नही कर सके, इसका हमे हादिक खेद है।
इस ग्रथ को अनिवार्य आवश्यकता ने हमे वाध्य कर दिया कि इसी रूप मे ही सही इसे पुनः मुद्रित करा लिया जाय ताकि इसको अनुपलब्धि विशेप कष्ट का कारण न बने। हम विश्वास दिलाना चाहते हैं कि शीघ्र ही हम इसका इच्छित सस्करण प्रस्तुत कर अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह करेंगे।
शिवरात्रि, स. २०३२ वि०
सुधाकर पांडेय
प्रधान मन्त्री
ना०प्र० सभा, काती