पृष्ठ:पुरानी हिंदी.pdf/५५

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५० पुरानी हिंदी दूसरा प्रमग यह है कि एक समय हेमचंद्र ने कपदि मंत्री से पूछा कि तेरे हाथ मे क्या है ? उसने उत्तर दिया कि 'हरडई' (= हरई, हरं )। इसपर हेमचद्र ने पूछा कि - 'क्या- अब भी?' कपर्दी ने उनका प्रागय समझकर कहा कि नहीं अब क्यो? अत से आदि हो गया और माना (धन) मे अधिक हो गया। हेमचद्र उसकी चातुरी पर बहुत प्रसन्न हुए । पीछे समझाया कि मैंने 'हरडइ' का अर्थ ह रडई' [=ह (कार) रडइ रटति, रोता हे ? लेकर पूछा था कि क्या हकार अब भी रोता है? कपर्दी ने उत्तर दिया कि पहले वह वर्णमाला मे अतिम था, अब आपके नाम में प्रथम वर्ण हो गया और कोरा 'ह' न कहकर ए कार की से बढ गया, अब क्यो रोने लगा। समयसूचक सारिणी इस लेख में जिन ऐतिहासिक बातो का उल्लेख हुअा है उनका श्रागा पीछा समझाने से लिये उनके सवत् एक जगह लिख दिए जाते है- - 5 । i . विक्रम सवत् घटना १० से १००० राजशेखर का लिखा अपनश, भूतभापा और शोर सेनी का देश- विन्यास । १०२६ से १०५० तक किसी परमार राजा मुंज का राज्या- समय भिपंक। १०५० से १०६४ तक किसी मुज की मृत्यु । समय भोज का राज्याभिषेक । १०३६ मूलराज सोलकी के हाथ कच्छ के राजा लाखा फूलानी का मारा जाना। ११५० सिद्धराक जयसिंह का गद्दी बैठना। अस्पष्ट पक्ति और है--'मुक्ताना सेतिका क्षिप्ता तस्य शीर्षे सफल्पिका (१) संजाता. राज्ञ समग्रेश्वर्यवृद्धि सूचयति स्म' यहाँ 'सेतिका का अभिप्राय लंडी से ही हो सकता है । सभव है कि यही अर्थ सेडउ का भी हो । कुकरण की लड़ाई के लिये देखो ना० प्र. पत्रिका, भाग १, पृ० ३६९-४०१1 " " है +