पृष्ठ:पुरानी हिंदी.pdf/७१

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पुरानी हिंदी खड्ड ( = ताल), खनाया स्वय, हे छागल स्क्य आरोपित किए रूख, पै ( या तैनै ), जो, प्रवर्तित किया, यज्ञ, स्वयं, धयो वुझाता है ? मूर्ख ! खणाविय--खरणाच्यु, आरोविय--प्रारोप्यो, पइ-तं के लिये देखो हेमचंद्र ८४१३७० । बुब्बुयहि-अनुकरण, बलबलाना । एक नगर मे अशुभ की शाति पशुवध से को जानेवाली थी, तब देवता ने कहा--- वसइ कमलि कलहसि जिम्वें जीवदया जसु चित्ति । तसु पय पक्खालस जलिरा होसइ असिव निविति ॥ वसती है, कमल मे, कलहसी, जिमि, जीवदया, जिसके चित्त मे, उसके, पद ( पैर ) पखालने (घोने ) के जल से, होगी, अशिव (की) निवृत्ति । होसइ--होस देखो (२३) । (४) एक विवाह के बधावे ( वर्धापन-वद्धावरण-वधाई ) का वर्णन-- आभरणकिरण दिप्पत देह अहरीकिय सुरवहू रूपरेह । घण कुकुम कहम घर दुवारि खुप्पत चलन नच्चति नारि॥ स्पष्ट है। दिप्पत-दीप्यमान, अहरीकिय-अधरीकृत, नीची दिखाई, रेह-- रेखा, घण बुकुम कद्दम-विशेषण के आगे विभक्ति नहीं है, घरदुवारि-घर द्वार मे या पर, खुप्पत चलण-पैर फिसलते हैं ( कर्दम मे ) जिनके ऐसी नारियाँ। । ५) तीयह तिन्नि पियाराइ कलि कज्जल सिंदूरु । अन्नई तिन्नि पियाराइ दुर्द्ध जम्वाइ उ तूरु ।। स्त्रियो के (या को ). तीन, प्यारे ( हैं ), झगडा, कज्जल (और) सिंदर, [अन्य (भी) तीन प्यारे है, दूध, जवाई और वाजा ! तूर-तूर्य । . जानीजानी मानी गयी Tar