पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/१३१

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नारी यह शब्द जितने अर्थ रखता है उन सब में यही प्रभाव है कि सदा सावधान रहो। ठीक नियम में रखो तो तो भलीभलाई और जहां तनक असावधानता हुई कि जीवन को दुखमय कर दिया। एक इस नाम का तुच्छ शाक (नारी का साग) है, जिसमें गुण तो यह है कि कैसा ही अफीम (अहिफेन) के विष से विकल हो, जहां थोड़ा सा उसका रस पिलाया कि सब दुख दूर । दीन निर्धनों के लिए सुलभ स्वादिष्ट खाजी। अकाल मृत्यु से मरे हुए असंस्कृत लोगों की नारायण बलि में उपयोगी। पर यदि उक्त गुणों पर भूल के कुछ दिन बाइए तो बात रोगों का लक्ष्य (निशाना) बना दे। ऐसे ही घर और सड़कों को नारी (नाली, मोरी) नित्य शुद्ध होती हैं तो दुर्गन्ध पदार्थों को दूर करें। यदि कुछ भी उनकी ओर से असावधानता हो तो क्षण भर में गंध के मारे माथा भिन्ना दें। और लीजिए,हाथ की नारी (नाटिका) ठीक समता पर चली जाय तभी तक कुशल है, नहीं तो चिता पर न सुलावै तो खटिया सेवन तो अवश्य ही करावे । अागिनी नारी (स्त्री) का तो कहना ही क्या है, संसार की उत्पत्ति, गृहस्थी का सुख, रसिकों का प्रमोद इन्हीं के हाथ में हैं। पर परमात्मा न करे कहीं रुक्माबाई ऐसी हों कि सात पीढ़ी की नाक कटावें । ककशा हों तो जीना भारी कर दें। अरबी में नारी कहते हैं अग्नि संबंधी को, उसका भी अर्थ अपसरा (परी) और नर का संबंधी दोनों हो सकते हैं। चाहे हृदय संलग्न होने पर सुखदायिनी समझ लो, चाहे वियोग द्वारा संतप्त कारिणी मान लो, चाहे मुसलमानों और क्रिस्तानों के मतानुसार सदा के लिए आत्मा फूकने वाली ठहरा लो ! हेर फेर के सिद्धांत यही निकलेगा कि यह न हो तो हमारा निर्वाह न हो या यों कहो कि न हो तो अल्ला मियां की कुदरत को वर्तमान कानून बदलनी पड़े। हों और नियमबद्ध न हों तो हमारी जीवन यात्रा नकमय हो जाय। इसलिए यही उचित है कि जैसे बने वैसे हिकमत के साथ इनसे बर्ताव रखें। न का अर्थ है नहीं और अरि कहते हैं शत्रु को, भावार्य यह हुआ कि न यह शत्रु हैं न इनसे अधिक कोई शत्रु है। जहां तक हो इन्हें स्वतंत्रता न सौंपो। अच्छे वैद्यों के द्वारा, पथ्यापथ्य विचार द्वारा, म्यूनिसिप्यलिटी द्वारा, सदुपदेश द्वारा नारी मात्र को अनुकूल रखना ही श्रेयस्कर है । तनिक भी व्यतिक्रम पाओ तो वैद्यराज से कहो, महाराज नारी देखिए, मुहल्ले के मेहतर से कहो कि चिलम पीने को यह पैसा को और नारी अभी साफ करो, घर की लक्ष्मी से कहो ना री ! ऐसा उचित मही! कोई अफीम खा गया हो तो उसके संबंधी से कहो कि नारी का साग पिलाना चाहिए । इसी प्रकार सदैव नारी का विचार और भगवान मदनारी ( कामदेव के नाशक शिव ) का ध्यान रखा करो, नहीं महाअनारी हो जाओगें। खं० ४, सं० ४ (१५ नवंबर ह. सं. ३)