पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/१४९

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१२७ पामे तसबीर ] सबन लोग तो मनायेंगे कि नित्य ऐसा हो । धन्य भाग्य उस स्थान के जहां अनेक धर्म के लोग एक मत के हों। हिंदू मुसलमान तो क्या सज्जन नास्तिक भी इसमें आनंद होगे। पर जिन दुष्टों का धर्म कर्म केवल दो समूहों में बैर बढ़ाना अथवा अपनी जथा के सिवा दूसरे को न देख सकना मात्र है उनकी हम नहीं कहते । "देखिए नतीजा क्या शुदनी है ।" होनहार का भेद परमेश्वर जाने पर अहंकारी से हम कह सकते हैं कि यदि ऐसा ही शीघ्र २ होता रहा तो गोरक्षा पर लोगों की रुचि बढ़ेगी, हिंदू मुसलमानों में प्रेम दृढ़ होगा, नगर को सुख सुयश प्राप्त होगा, सरकार की नीति और प्रजावत्सलता प्रत्यक्ष होगी। यदि कुछ न होगा तो विदेशी कानपुर पर ताली बजा के टांय २ फिस के गीत गावेंगे। जो अदूरदर्शी प्रजागण को लड़ाई के लिए उभाड़ेंगे वे लोक परलोक के राजा के संमुख अपने किए का फल पावेंगे । इतनी बातों में एक ही बात "शुदनी" है। अंत में हम अपने सहयोगी को सम्मति देते हैं कि अखबारों का धर्म मेल बढ़ाना और सद्गुण फैलाना है । इससे हमारे इस बचन पर ध्यान दें कि "हिंदू मुसलमान दोनों भारतमाता के हाथ हैं। न इनका उनके बिना निबाह है न उनका इनके बिना । अतः सामाजिक नियमों में एक दूसरे के सहायक हों। इसमें दोनों का कल्याण है । कोई दहिने हाथ से बायाँ हाथ अथवा बाएं से दहिना हाथ काट के सुखी नहीं रह सकता। खं• ४, सं० ९ (१५ अप्रैल ह० सं० ४) आलमे तसबीर (२) यह हजरत गोरक्षा ही के द्वेषी नहीं हैं, हमारे कांग्रेस के भी द्वेषी हैं । गत मास में हम दिखा चुके हैं कि गोरक्षा विषयक साधारण व्याख्यान पर आपने कितनी झूठ के साथ कैसा २ अमूलक झगड़ा रोपा था। आज उससे बढ़ के कांग्रेस बिषयक प्रपंच लीजिए। २७ अप्रैल के पत्र में मेरठ का हाल लिखते हैं, जिसका भावार्थ यह है कि 'बाबू रघुबरसरन वकील ने कांग्रेस के लाभ वर्णन करके सैयद मीर मुहम्मद को कांग्रेस का हमदर्द बताया पर सैयद ने कांग्रेस के विरुद्ध कहा । खैर यह तो बाबू रघुबरदयाल साहब की कोई बड़ी भूल भी न थी, वे सैयदजी के अंतरयामी न थे। इसके आगे लिखते हैं 'करीब था कि फौजदारी की नौबत पाच जाय' पर साफ २ लिखना चाहिए था कि किसकी तरफ से फौजदारी की नौबत पहुंचने के आसार थे। कांग्रेस के अनुकल लोग तो केवल सब में मेल बढ़ाना चाहते हैं। हाँ, बहुषा विरोधी लोग झूठ और प्रपंच से काम ले रहे हैं जिसके उदाहरण अभी लिखे जाते हैं, जैसा लिखते हैं 'अब को साल रंग अच्छा नहीं है। हामियाने कांग्रेस कुछ जियादा बौखलाहट से काम ले रहे हैं। यदि सैयद अहमद और उनके संप्रदायियों की खुदगरज, खुशामदी...