पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/२००

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[ प्रतापनारायण-ग्रंथावली
 

[प्रतापनारायण-अंपावली पर हम ने देखा है कि बन और पर्वतों में एक से एक कोमल पौधे पड़े हैं जिन पर कभी कोई बूंद भर पानी डालने नहीं गया पर उनको एक पत्ती भी नहीं सूखती। रीछ भेड़िया आदि बनले जीव मनुष्यों के भक्षक प्रसिद्ध हैं पर उनके बिल से १०-१० बरस के लड़के जीते जागते निकले हैं । सब को निश्चय है कि सजनों को अच्छी मौत मिलती है। इसके विरुद्ध राम, कृष्ण, ईसा, मुहम्मद, शंकराचार्यादि की कथा देख लीजिए, जन्म भर लोकोपकार ही में रहे पर अंत समय कोई फांसी चढ़ाया गया, किसी को विष दिया गया। सब जानते हैं कि 'जो कल्पावैगा वुह क्या फल खावेगा' पर आंखें खोल के देखो तो वही लोग जो अपने पापी पेट को भरना और झूठी खुशामद करना जानते हैं, देश भर अन्याय से पीड़ित हो के मर जाय तो उनकी बला से, वही बड़ी २ पदबी, बड़ी २ प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। खं० ५, सं० ९ ( १५ अप्रैल ह० सं० ५) ठगों के हथखंडे ठग वे कहलाते हैं जिनके कपड़े लत्ते, चिहरे मुहरे से यह कोई न कह सके कि यह मीति, धर्म एवं भलमंसो के विरुद्ध कुछ भी करते होंगे। बात चीत भी उनकी ऐसी सभ्यतापूर्ण होती है कि हर कोई ठगे जाने के पहिले उन्हें बड़ा साधुस्वभाव समझता है। प्रत्यक्ष में अपने नगर के दो एक प्रतिष्ठित पुरुषों से ऐसे लोग हेलमेल भी बनाए रखते हैं पर उनकी गुप्त लीला ऐसी होती है कि दूसरे का धन, मान, उचित प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य ( तंदुरुस्ती ), धर्म, चाहे जो नाश हो जाय पर उनका स्वार्थ सिद्ध होता रहे । यद्यपि हमारी नीतिवती सर्कार ने हमारे अनिष्टकारकों के दमन करने में बड़े २ बंदो- बस्त कर रक्खे हैं पर इतनी करतूतें हमारी सर्कार के कानों तक बहुत कम पहुँचती हैं, इससे सर्वसाधारण की बड़ी हानि होती है। पराया झगड़ा अपने शिर कौन ले । थोड़ी सी बात के लिए होव २ में कौन पड़े। अदालत में बहुधा ऊपरी कर्मचारियों को बदो- लत झूठ का सच, सच का झूठ हो जाता है । घर के धंधे छोड़कर दौर धूप करनी पड़ेगी । जिनकी हम शिकायत करते हैं उनके साथी जबरदस्त हैं । सर्कार तो जब न्याय करेगी तब करेगी, पहिले वही लेव देव कर डालेंगे! यही विचार हमें सच कहने से रोकते हैं। इसके सिवा सब कोई कानून नही जानता और उन्हों (हगों) ने अपने बचाव की सूरत निकाल रक्खी होगी, ऐसी ही ऐसी बातें सोच के लोग पेट मिस्सा मार रह जाते हैं पर हमें सत्य का विश्वास एवं सर्कार से न्याय की आस है, इससे सर्व- साधारण के हितार्थ ठगों के हथखंडे, जो आंखों देखे और विश्वासियों से सुने हैं, धीरे २ १. कई बंकों में प्रकाशित प्रस्तुत लेख के उपलब्ध अंश यहां संकलित हैं।