पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/२२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उपाधि] हमारे रिसीम को भगवान के भजन और जगत के उपकार की लत परी हो, जाके मारे सारे सुबन को छोड़ि, संसार सों मुख मोड़ि, कंद मूल खाय २ बन में जाप रहे है । पाई के फल सों ब्रह्ममय कहावें हे। आज ताऊं हम उनके नाम सुन नार ( ग्रीवा ) नमा हैं और उनके उपदेशन पर चलन बारे अपनो जनम बना है। हमारी सरकार और माड़वारीन को कमायबेई की लत है । कोई कछु कहे पे वे एक न एक रीति सो अपनोई घर भरिंगे। जिनको खुशामद को लत है वे हजूर की हाँ में ही मिझायोई करिगे, देश सारी चाहे आज धूर में मिल जाय, प्रजा चाहे याई परो नास है जाय, राजा चाहे भलेई अजस पावे, संसार चाहे कछू कहे कहावै 4 लत तो मरबेई १ छूटे तो छूटे । हमारे हिंदू भाईन कों आलस को ह्यां ताऊं लत है के लाख समुझाबो पे सोयबो छोड़ेई नायं । चौबेन भांग की है, गुसांइन को मरकबे को लत है। धनीन को टेंटई [ वेश्या ] की लत है, बाबून को अंगरेज बनबे को लन है। कहां लौं कहैं, एक २ लत सब को परी है, पे हाय, देशसुधार को लत सांची २ काऊ को नायं दीखे। तन, मन, धन, धर्म, कर्म, लजा, प्रतिष्ठा सब सों अधिक भारत को माने जमाना, मैया जा दिना देश हित के लती उपजावेगी, वाई दिना सब संकट कटेगो । हे दऊदयाल ! हमारे भाई कहा मुख हो सों देशहित के गीत गायो करिंगे। इन्हें ऐसो बुद्धि कब देउगे के सगरो धन खोय के, जात बाहर होय के, देश विदेश जाय के, सबन की गारो लो खाय के, देशी बिदसी राजा प्रजा सब के कड़वे बनेंगे पे प्रान लौ देके भारत के हेत सब कुछ करिंगे । हम को लिखबे की लत है, खायबे को चाहे भलेई न मिलो, साल में घटी कितनिई परी, कोई रोझो तो वाह २, खीझो तो वाह २, पे कलम रांड़ चले बिना मानेई नायं ! कोई सुनी के न सुनो पे हमें तो बलवे की लत है, यासों कहेई जायंगे के जाय भले कामन की लत परेगी, राधारानी बाई को भलो करेंगी। सब सों भली देशभक्ति है, जाय याकी लत नायं वाके जीवन पर नालत ( लअनत ) है। खं० ५, सं० ११ (१५ जून ह० सं० ५) उपाधि यद्यपि जगत में और भी अनेक प्रकार की आधि व्याधि है पर उपाधि सब से भारी छूत है । सब आधि व्याधि यत्न करने पर ईश्वरेच्छा से टल भी जाती हैं पर यह ऐसी आपदा है कि मरने ही पे छूटती है। सो भी क्या छूटती है, नाम के साथ अवश्य लगी रहती है। हाँ, यह कहिए सताती नहीं है। यदि मरने के पीछे भी आत्मा को कुछ करना धरना तथा आना जाना या भौगना भुगतना पड़ता होगा तो हम जानते है उस दशा में भी यह रांड पीछा ना छोड़ती होगी। दूसरी आपदा छुट जाने पर तन