पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/२७७

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पंचायत ] २५५ अतः आँखें पसार के देखो कि तुम्हारे जीवनकाल में पढ़ी लिखी सृष्टि वाले पंच विस ओर झुक रहे हैं, और अपने ग्रहण किए हुए मार्ग पर किस दृढ़ता, वीरता और अकृत्रिमता से जा रहे हैं कि थोड़े से विरोधियों को गाली धमकी तो क्या, बरंच लाटी तक ग्वा के हतोत्साह नहीं होते और स्त्री, पुत्र धन जन क्या, बरंच आत्मविसर्जन तक का उदाहरण बनने को प्रस्तुत हैं। क्या तुम्हें भी उसी पथ का अवलंबन करना मंगल- दायक न होगा ? यदि बहकाने वाले रोचक और भयानक बातों से लाख बार करोड़ प्रकार समझा तो भी ध्यान न देना चाहिए। इस बात को यथार्थ समझना चाहिए कि पंव हो का अनुकरण परम कर्तव्य है। क्योकि पंच और परमेश्वर का बड़ा गहिरा संबंध है । बस इसी मुख्य बात पर अवल विश्वास रख के पंच के अनुकूल मार्ग पर चले जाइए तो दो ही चार मास में देख लीजिएगा कि बड़े २ लोग आपके साथ बड़े स्नेह से महानुभूति करने लगेगे और बड़े २ विरोधी, बड़े साम, दाम, दंड भेद से भी आपका कुछ न कर सकेंगे। क्योंकि सबसे बड़े परमेश्वर हैं और उन्होंने अपनी बड़ाई के बड़े २ अधिकार पंव महोदय को दे रखे हैं। ____ अतः उनके आश्रित, उनके हितैषी, उनके कृपापात्र को कभी कही किसी के द्वारा वास्तविक अनिष्ट नहीं हो सक्ता । इससे चाहिए इसी क्षण भगवान पंचवक्त्र का स्मरण करके पंच परमेश्वर के हो रहिए तो सदा सर्वदा पंचपांडव की भांति निश्चित रहियेगा। खं० ६, सं० १२ (१५ जुलाई ह० सं० ६) पंचायत ऐसा कोई काम नहीं है जो भला अथवा बुरा कहने के योग्य नहीं। यदि कोई इस सिद्धांत के विरुद्ध कह बैठे कि बहुत से काम ऐसे हैं जिनमें न किसी की हानि होती है न लाभ, न दुःख होता है न सुख, उन्हें भला वा बुरा क्योंकर कह सकते हैं। हां, निरर्थक अथवा निष्फल कह लीजिए । तो उत्तर यह होगा कि भलाई बुराई दो प्रकार की होती है, एक वे जिन का प्रभाव केवल कर्ता ही पर समाप्त हो जाता है, दूसरी वे जो दूसरों के सुख दुःखादि का हेतु होती है। इस रीति से विचार करने से निश्चित होगा कि निरर्थक कार्य यद्यपि दूसरों पर प्रभाव नहीं डालते पर कहने वाले का समय अवश्य नष्ट करते हैं और दूसरों की दृष्टि में उसकी तुच्छता, निबुसिता और विचार शून्यता निश्चय प्रगट करते हैं । अतः वे भी बुरे ही कामों की गणना में हैं। फिर कैसे कहा जा सकता है कि भलाई और बुराई के अतिरिक्त कोई तीसरा विशेषण भी है जो किसी कार्य अथवा व्यक्ति के लिए निर्धारित हो । इसी प्रकार ऐसा कोई मनुष्य अथवा समुदाय भी नहीं है जो भलाई और बुराई से न्यारा रह सके। जिन्हें लोग कहा करते