पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/३२७

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देखिये तो ] ३.५ देश में कब, किस समय, कौन २ उत्साही वीर, पतिप्राणा स्त्रीरत्न एवं रससिद्ध कवीश्वर हुए हैं अथवा हैं और इस प्रकार का ज्ञान न होने से देश में मनुष्य जीवन को सुशोभित करने वाले सद्गुणों का पूर्णरूप से प्रचार होना दुर्घट है । इस अभाव के दूर करने की मनसा से देशभक्तों और विद्यारसिकों की सेवा में हमारा सविनय निवेदन है कि जो सज्जन भूतकाल के सथा वर्तमान समय के वीर पुरुषों, पतिव्रता स्त्रियों अथच कवियों का वृत्तांत जानते हों वह कृपा करके हमारे पास लिख भेजें तो भारत- वर्ष का बड़ा उपकार होना संभावित है। इस देश में ऐसा स्थान बिरला ही होगा जहां सौ पचास वर्ष के इधर उधर किसी न किसी घराने में कोई न कोई जाति और देश को भूषित करने वाले पुरुष अथवा स्त्री ने जन्म न ग्रहण किया हो। ऐसों का चरित्र एकत्रित करने में प्रचलित गीतों और कविताओं (जो दिहात के स्त्री पुरष बहुधा गावा करते हैं वा भाट लोग कहते रहते हैं ) तथा वृद्ध लोगों से बहुत कुछ सहायता मिल सकती है। पर इस प्रकार की बातें संग्रह करना एक दो मनुष्यों का काम नहीं है। इससे सहृदय मात्र को हम कृपा करके देश की कल्याण साधनाथं परिश्रम करके लिख भेजना चाहिए कि किस जिले परगने के किस नगर अथवा ग्राम में, किस संवत् में किस कुल के मध्य, किस साहसी व्यक्ति ने जन्म लिया, उसके माता पितादि का नाम क्या था और किस २ उद्देश्य से कब २ किस २ के प्रति कहाँ अपने अलौकिक गुण का प्रकाश किया। यों ही कब, कहाँ, किसके गृह में, किस के गर्भ से किस पतिव्रता ने प्रादुर्भाव किया और किस वंश के कोन से बड़भागी के साथ न्याही गई तथा क्यों कर पवित्र प्रेम का परिचय देकर जीवनयात्रा समाप्त की एवं उसका सतीचौरा किस स्थान पर है। इसी प्रकार कब, कहां, किस कुल में किस कविवर ने जन्म धारण किया, किस राजसभा अथवा किस रीति से निर्वाह किया वा करते हैं। कौन २ से ग्रंथ निर्माण किए उन ग्रंथों की पूरी प्रति अथवा कुछ कविता भी लिख भेजनी चाहिए। यदि संभव हो तो उनका चित्र वा हस्तलिपि भी भेजने तथा भिजगने का यत्न कर्तव्य है। शिवसिंह सरोज में जिन २ कवियों की कथा लिखी है उसके अतिरिक्त कुछ और विशेष वृत्त ज्ञात हो वा अन्यान्य कवियों का चरित्र अवगत हो तो लिखना चाहिए । आल्हा, लोरीक, बिजयमल्ल, सल्हेस, नयकाबनिजरवा, गोपीचंद, भरतरी, अमरसिंह का स्थाल, सतीचंद्रावली का गीत इत्यादि एवं इसी प्रकार के और २ गीत, कबित, पंवरा आदि से बहुत कुछ सहायता मिल सकती है। जो देशहितैषी ऐसी २ बातों के लिख भेजने का उद्योग करेंगे तथा संपादक महाशय इस बिज्ञापन को अपने पत्र में कुछ दिन स्थान दान करेंगे उन को धन्यबाद तो हम क्या समस्त भारत देहोगा किंतु एत- द्विषयक पुस्तक ( वा पुस्तकें ) भी उनकी सेवा में बिना मूल्य भेजी जायंगी। बुद्धिमानों को इतनी सूचना बहुत है । हाँ, जो २ बातें रह गई हों वह और भी बढ़ा के लिखना उनकी रुपा है । इसे पढ़ के रख न दीजिए किंतु ध्यान दीजिए और परिश्रम कीजिए तो बस, मुझ प महसान करो खलक प अहसा होगा। २.