पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/४२९

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मना ] ४०५ और उपदेशक तथा रोजगार के बहाने से बधिकों को गोभक्षकों के साथ व्यवहार करने वाले एवं जातिभाइयों से छिपा के भक्ष्याभक्ष्य भक्षने वाले विचारे धर्म रूपी वृषभ का कलियुग के हाथ से बचा बचाया एक चरण रहा है वह भी अपने कुकर्म के हाथों से काट कर उसके प्राण लेने वाले हैं। हमने माना कि सब ऐसे न हों पर जो ऐसे हैं उनके कोई बाहिरी चिह्न नहीं होता वरंच ऐसों को बोलो बानी और ऊपरी चाल ढाल सच्चे गोहितैषियों की अपेक्षा अधिक सुहावनी होती है। क्योंकि लोगों को धोखा देकर अपना काम बनाना ही उनका अभीष्ट होता है और धोखा देने वालों से दो एक बार ठगाए बिना बचे रहना प्रत्येक के पक्ष मे सहन नहीं हुवा करता। इस से हम अपने पाठको को सल्लाह देते हैं कि यदि गोरक्षा में सचमुच रुचि हो तो अपनी पहुँच भर दो चार अथवा एक गाय का पालन तो अवश्व करते रहें। यदि सामध्यं न हो तो किसी धनहीन भाई को गाय को थोड़ा बहुत भोजन दे दिया करें अथवा हो सके तो बहुत ही शिष्टता और मिष्टता के साथ अपने हेती व्यवहारियों को इस विषय मे उत्साह देते रहें। बस इस काल में हमारा किया इतना ही हो सक्ता है और इसी से बहुत कुछ लाभ होने की सभावना है। इस के अतिरिक्त धर्म की गति बड़ी सूक्ष्म हुवा करती है। उस में बिना भली भांति निश्चय किए टंगड़ी अड़ाना श्रेयस्कर नहीं है। यों नामवरी के लिए सैकड़ों राहें खुली हुई हैं और सच्चे जी से जिसी सच्चे धर्म कार्य में कुछ हाथ पांव हिलाए जाये उसी में सच्चा नाम प्राप्त हो सक्ता है किंतु जिस काम में धोखा खाने का डर हो उस में भली प्रकार सोचे बिचारे बिना हाथ डालना ठीक नहीं। इस काल में गोरक्षा के मध्य धोखा खाना असंभव नहीं हैं। इस से उस में उतना ही अग्रसर होना उचित है जितना अपने बूते हो सके वा कुछ भी करने की शक्ति न हो, तन धन बबन कुछ भी किसी काम के न हों तो चुपचाप बैठा रहना भी कोई बुराई नहीं है। स्मरण रखिए हमारे लिए आँखें मौच के चलने योग्य केवल वही मार्ग है जिसमें बाप दादे चलते आए हैं। बाकी जितनी राहे नई ग्युलती हैं उन सब मे धोखा रहता है अतः उन का अवलंबन बहुत ही सोच समझ के कर्तव्य है। आगे इच्छा आप की, इमारा काम तो सजग ही कर देना मात्र है। खं० ९, सं० ५ ( दिसंबर ह. सं ९) मना यह मना सब के मुंह में विराजमान है । नहीं तुम्ही बताओ कि फलाने मत अथवा जाति में ऐसा शब्द नहीं सुना। हम तो यही नानते हैं कि यह सब और है। कहो गिना चलें। मुसलमानों के यहाँ कई बातों का मना है-लाहौलबलाकूवत । बाह! खूब कही, नमअलूम ये हिंदू क्यों अलफाजि अरबिया को खराब करे डालते हैं। सपज है