पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

घूरे के लता बिनै कनातन का ढोल बांधे ] पढ़ेगे तो कुछ देशहित सीखेहीगे। देशहित समझेंगे तो देशी पत्र की सहायता कहां तक न करेंगे ? रहे थे जिन्होंने छ: छः आठ २ महीने ब्राह्मण मंगाया फिर फेर दिया मौर आठ दस आना के लिये देवाला निकाल बैठे । वे भी धन्यवाद के योग्य हैं क्योंकि उनसे हमें यह उपदेश मिला कि All is not gold that glitters | पीली २ पगड़ी, लाल लाल गाल, मोटे २ तोंदवाले सभी ईमानदार नहीं होते। जो व्यवहार के सच्चे होते हैं वे झूठी बनावट नहीं रखते । यहाँ क्या है, हमने समझ लिया दमड़ी की हंडिया फूटी, कुत्ते को जात पहचानी । परमेश्वर करें वे भी प्रसन्न रहें, चैन करें। इमली के पत्ते पर जो रुपया धर्मोपार्जित नहीं है, हरामख्वारों के हिस्से का है, हमें न चाहिये । यहां तो देशहितषी विणा रसिकों के घर में कमी क्या है जो हम आज बरस २ के दिन मनहूसों का झिखना झिख के साल भर की नसेठ करें ? हमारे राम तो अब मंगल पाठ करते हैं और मंगलमय सच्चिदानन्द के चरण कमल का स्मरण करके अपने कर्तव्य पर आरूढ़ होते हैं। मंगल पाठ ( भूतशांति के लिए ) ओ३म् द्यौःशांतिः पुतलीघरांजन धूमाच्छादितांतरिक्ष ॐ शांतिः कबरिस्तानस्य पृथिवी शांतिः सोडावाटर शान्तिः क्लोराफार्मः शांतिर्गाजा भांगः शान्तिनिरेऽपंडिताः शांतिर्मुहमदेशाः शांतिः सर्वायकु बंकाः शांतिः शांतिरेवशांतिः सामाशांतिरेधिः ॥१॥ ___ओ३म् शराबः शांतिरंण्डिको शांतिरनेचरयल क्राइमः शांतिः पादरिया: शांतिौलवियाः शांतिः फूटः शांतिलूटः शांतिरालस्यः शांतिः संतोषः शांतिः सर्वसत्यानाशी ढुंगाः शांतिः सामाशांतिरेधिः । ओ३म् शांतिः २ शांतिः। लबेद संहिता अ * म... खं० २, सं० १ ( १५ मार्च सन् १८८४ ई.) घरे के लत्ता बिनै कनातन का डौल बाँधे जरकी मेहरिया कहा नाहीं मानती, चले हैं दुनिया भर को उपदेश देने; घर में एक गाय नहीं बांधी बाँध जाती, गोरक्षिणी सभा स्थापित करेंगे; तन पर एक सूत देशी कपड़े का नहीं है, बने हैं देश हितैषी; साढ़े तीन हाथ का अपना शरीर है उसकी उन्नति नहीं कर सकते, देशोन्नति पर मरे जाते हैं-कहां तक कहिये, हमारे नौसिखिया भाइयों को 'मालो खूलिया' का आजार हो गया। करते धरते कुछ भी नहीं हैं, बक बक नाधे हैं। जब से शिक्षा कमीशन ने हिंदी को हंट (शिकार) किया तब से एडिटर महात्मा और सभाओं के मेम्बरों के दिमागों में फितूर पड़ गया है। जिसे देखो सरकार पर ही खार खा रहा है। न जाने सरकार का यह क्या बनाये ले ३ हैं अरे भाई, पहिले अपना