पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/८२

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वर्षारंभे मंगलाचरणम् धन्य २ लोक्य नाथ ताप विनाशन । धन्य २ बर्ग मुक्त हृदि प्रेम प्रकाशन ॥ धन्य २ गुण्य रहित लिंग्य विधाता। धन्य २ काल एक रस कृति ज्ञाता । धन्योसि प्राण प्रियतम प्रभो । विदश पूज्य बुध वन्द्य पद । ब्रह्मण्य देव ब्राह्मण शरण वितिय वर्ष मधि हर्षप्रद ॥१॥ उस त्रिभुवन नायक को असंख्य धन्यवाद है जिसकी कृपा से आज हम तृतीय वर्ष में प्रवेश करते हैं। यद्यपि ब्राह्मण देवता अपने जन्म दिन ही से अपने यजमानों को हंसाने, सदुपदेश सुनाने और सर्वोन्नति विधायक प्रेम मार्ग दिखाने के ऊपर मुंड मुड़ाये फिरते हैं, पर आज तो लोकरीत्यानुसार मुंडन का दिन ही ठहरा । होली की भीर है। तीसरे वर्ष का आरंभ है । क्या अपना कृत्य न करेंगे ? करें और फिर करें नहीं तो पाठक महाशय तीन कोने का मुंह म बनाने लगेंगे ? अच्छा तो प्रिय ग्राहकगण ! लीजिए धन्यवाद, आशीरवाद और स्नेह संवाद, यह तीनों आपकी मेंट हैं । क्यों पसंद आए ? ह ह ह कैसी शीघ्र हाथ पसार दिया ! स्मरण रहे कि सबके लिए नहीं हैं । आप लोगों के नाम में तीन अक्षर हैं । पहिले उनका अर्थ समझ लीजिए फिर तीनों आपस में बांट लीजिएगा । पहिले अक्षर है 'पा' जिससे प्रयोजन है पालन करने वाला, अर्थात् पत्र को रुचिपूर्वक पढ़ना, दूसरों को उस्का तात्पर्य विदित करना और ठीक समय पर दक्षिणा भेजकर वर्ष भर के लिए निद्वंद्व हो जाना । पत्र का निर्वाह होता गया, उनका उत्साह बढ़ता गया, कैसा परस्पर पालन हुवा ? ऐसों के लिए हमारा धन्यवाद है वरंच उपरोक्त तीनों उन्हीं के लिए हैं । दूसरा अक्षर '४' जिस्का अर्थ हैं ठगई करने वाला अर्थात एक पोस्टकार्ड लिख भेजा 'कृपा करके मेरे नाम भेजा करो' वा मिल गए तो 'हम को भी पत्र दिया करो।' दिया करेंगे। कपड़ों से भलेमानस जान पड़ते हो, बोलो बानी से रसिक जंचते हो, हम अंतरजामी थोड़े ही हैं कि तुम्हारा आंतरिक देवालियापन जान लें । जहां आठ दस महीने हो गए पत्र लौटाल दिया। लिख दिया-'लेना मंजूर नहीं है'। पहिले क्या झख मारने को मंगाया था? मूठे, बेईमान, उठाईगीर । क्या यह ब्राह्मण क्षत्रियों को धर्म है ? नहीं, प्रच्छन्न चोरों का, जिस्का धर्म एक रुपए पर डिग गया । अंगरेजी राज्य न हो तो ऐसे ही लोग डाका मार। ऐसी ही बुद्धिवाले तो पराए लड़कों का गला घोंट के गहना उतार लेते हैं । भला ऐसों के लिए हमारे पास क्या है, सिवा बीच वाले शब्द ( अर्थात आशीरबाद ) के कि 'खुसी रही जजमान नन ये दोनों फूट' जिसमें कोई समाचार पत्र देखने को जी न पाहे, म हमारे सहयोगियों की हानि हो । और 'राह