पृष्ठ:प्रताप पीयूष.djvu/११४

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मरो।)


मुद्दई-ग्राम्य भाषा में शत्रु को कहते हैं, (हमार मुद्दई आहिउ

लरिका थोरै आहिउ।)


मुद्दालेह-मुद (आनन्द) आ ! आ ! ले दोत !अर्थात् आव

आव मजा ले अपने कर्मों का।


इजलास-अंगरेजी शब्द है,इज़ is (है) Loss(हानि)अर्थात्

जहां जाने से अवश्य हानि है, अथवा ई माने यह, जलासा

अर्थात् कोयला सा काला आदमी। अथवा फारसी तो

शब्द ही है, जेर के बदले ज़बर अर्थात् अजल (मौत) की

आस (आशा) अथवा बिना जल (पानी) के आस लगाए

खड़े रहो।


चपरासी-लेने के लिए चपरा के समान चिपकती हुई बातैं

करनेवाला ! न देनेवालों से चप (चुप) रासी का अर्थ

फारसी में हुआ, 'नेवला है तू'-अर्थात् 'चुप रह, नेवला

की तरह तू क्या ताकता है' कहनेवाला । अथवा फारसी

में चप के माने बायां अर्थात् अरिष्ट के हैं (विधि बाम

इत्यादि रामायण में कई ठौर आया है,) अर्थात् तू बाम

नेवला है, क्योंकि कोल डालता है।


अरदली-अरिवत् दलतीति भावः।


स्त्री-(शुद्ध शब्द इसस्तरी) अग्नितप्त लोह के समान गुण

जिसमें । (धोबी का एक औजार)


मेहरिया-जिसकी आंखों में मेह (बात २ पर रोना)और हृदय