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आदर्श हिन्दू-बालिका की भाँति प्रेमा पति के घर आकर पति की हो गई थी। अब अमृतराय उसके लिए केवल एक स्वप्न की भाँति थे, जी

उसने कभी देखा था। वह गृह-कार्य में बड़ी कुशल थी। सारा दिन घर का कोई न कोई काम करती रहती। दाननाथ को सजावट का सामान ख़रीदने का शौक़ था, वह अपने घर को साफ़-सुथरा सजा हुआ देखना भी चाहते थे; लेकिन इसके लिए जिस संयम और श्रम की ज़रूरत है, वह उनमें न था। कोई

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